आरयू वेब टीम। विपक्ष ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक संयुक्त लेटर लिखाकर ईडी और सीबीआइ जैसी एजेंसियों के दुरुपयोग करने की निंदा की है। विपक्षी नेताओं ने पत्र के जरिये आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है, जोकि गलत है। उन्होंने पत्र में असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिसवा सरमा पर निशाना साधा है।
विपक्षी नेताओं ने पत्र में सीएम हेमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ भी लिखा है। उनका आरोप है कि भाजपा में जो विपक्षी नेता शामिल हो जाते हैं, उसके खिलाफ धीमी गति से जांच होती है। साथ ही उन्होंने दावा किया है कि चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकारों के कार्यों में राज्यपाल दफ्तर दखल दे रहा है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच बढ़ती दरारों का मुख्य कारण गर्वनर बन रहे हैं।
आठ राजनीतिक दलों के नौ नेताओं ने विपक्ष की आवाज को बुलंद करते हुए आरोप लगाया कि विपक्ष के नेताओं के खिलाफ मामले उस समय दर्ज किए गए या उन्हें उस समय गिरफ्तार किया गया जब चुनाव नजदीक थे। इससे ये स्पष्ट होता है कि सभी कार्रवाई राजनीति से प्रेरित थी।
पत्र में आगे कहा गया है कि 26 फरवरी को लंबी पूछताछ के बाद दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सीबीआइ ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें गिरफ्तार करते समय उनके खिलाफ कोई सबूत भी नहीं दिखाए गए। 2014 के बाद से जिन नेताओं पर भी एक्शन हुआ है, उनमें से ज्यादातर विपक्ष के ही हैं।
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साथ ही इस पत्र में नेताओं ने लिखा, “हमें उम्मीद है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि भारत अभी भी एक लोकतांत्रिक देश है। विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के घोर दुरुपयोग से लगता है कि हम एक लोकतंत्र से निरंकुशता में परिवर्तित हो गए हैं।”
इन नेताओं ने किए हस्ताक्षर
पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले विपक्षी नेताओं में बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव, जेकेएनसी प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, एआईटीसी प्रमुख ममता बनर्जी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, उद्धव ठाकरे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राजद नेता तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का नाम शामिल है। हालांकि, पत्र में कांग्रेस, जेडीएस, जेडी (यू) और सीपीआई (एम) से कोई प्रतिनिधित्व नहीं था।