जर्मनी में बोले प्रधानमंत्री मोदी, रूस-यूक्रेन युद्ध में नहीं जीतेगा कोई, होगा नुकसान

ओलाफ स्कोल्ज
जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के साथ नरेंद्र मोदी।

आरयू इंटरनेशनल डेस्‍क। अपनी तीन देशों की यात्रा की शुरुआत पीएम मोदी ने जर्मनी से की। आज जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के साथ बातचीत में दोनों नेताओं ने जंग को तत्काल समाप्त करने की आवश्यकता को दोहराया। पीएम मोदी ने कहा कि युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं है। रूस-यूक्रेन युद्ध में कोई भी देश विजयी नहीं होगा, क्योंकि सभी को नुकसान होगा और विकासशील और गरीब देशों पर “अधिक गंभीर” प्रभाव पड़ेगा।

सोमवार को दोनों देशों के बीच छठे अंतर-सरकारी परामर्श की सह-अध्यक्षता के बाद स्कोल्ज़ के साथ एक संयुक्‍त प्रेसवार्ता में मोदी ने कहा कि भारत जंग के मानवीय प्रभाव से चिंतित था और उसने यूक्रेन को सहायता प्रदान की थी।

यूक्रेन संकट पर, मोदी ने कहा कि शुरू से ही, भारत ने शत्रुता को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया और जोर देकर कहा कि विवाद को हल करने के लिए बातचीत ही एकमात्र समाधान है। पीएम मोदी ने कहा, “हम मानते हैं कि इस युद्ध में कोई विजयी दल नहीं होगा और सभी को नुकसान होगा। इसलिए, हम शांति के पक्ष में हैं।” उन्होंने कहा, “यूक्रेन संकट से उत्पन्न अशांति के कारण, तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं, और खाद्यान्न और उर्वरकों की कमी है, जिसके परिणामस्वरूप दुनिया का हर परिवार बोझ बन गया है।” मोदी ने कहा कि इस संघर्ष का प्रभाव विकासशील और गरीब देशों पर अधिक गंभीर होगा और कहा कि भारत संघर्ष के मानवीय प्रभाव के बारे में भी चिंतित है।

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वहीं स्कोल्ज़ ने कहा कि यूक्रेन पर अपने हमले के माध्यम से रूस ने अंतरराष्ट्रीय कानून के मूलभूत सिद्धांतों का उल्लंघन किया है। जर्मन चांसलर ने कहा कि युद्ध और यूक्रेन में नागरिक आबादी के खिलाफ क्रूर हमले दिखाते हैं कि रूस कैसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन कर रहा है।

मोदी ने समग्र रणनीतिक साझेदारी के साथ-साथ क्षेत्रीय सहयोग के तहत द्विपक्षीय सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों पर जर्मन चांसलर के साथ बातचीत की। आईजीसी में अपने उद्घाटन भाषण में, दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के प्रमुख पहलुओं के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर साझा दृष्टिकोणों पर प्रकाश डाला, जिसमें मोदी ने जोर दिया कि भारत-जर्मनी साझेदारी एक जटिल दुनिया में सफलता के उदाहरण के रूप में काम कर सकती है। उन्होंने भारत के आत्मानिर्भर भारत अभियान में जर्मन भागीदारी को भी आमंत्रित किया।

वार्ता के बाद जारी एक संयुक्‍त बयान में कहा गया है कि “जर्मनी ने यूक्रेन के खिलाफ रूसी बलों द्वारा गैरकानूनी औ्रर अकारण आक्रामकता की अपनी कड़ी निंदा दोहराई”। आगे कहा गया है कि जर्मनी और भारत ने यूक्रेन में चल रहे मानवीय संकट के बारे में अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की और यूक्रेन में नागरिकों की मौत की “स्पष्ट रूप से निंदा” की। संयुक्त बयान में उन्होंने शत्रुता को तत्काल समाप्त करने की आवश्यकता दोहराई और इस बात पर जोर दिया कि समकालीन वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय कानून और संप्रभुता के सम्मान और राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता पर आधारित है। उन्होंने यूक्रेन में संघर्ष के अस्थिर प्रभाव और इसके व्यापक क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभावों पर चर्चा की, यह कहते हुए कि दोनों पक्ष इस मुद्दे पर निकटता से जुड़े रहने पर सहमत हुए।

स्कोल्ज़ ने अपनी टिप्पणी में कहा कि उन्होंने जर्मनी में जी -7 शिखर सम्मेलन में प्रधान मंत्री मोदी को भी आमंत्रित किया है और इस बात पर जोर दिया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन वार्ता में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है। मोदी ने कहा कि लोकतांत्रिक देशों के रूप में भारत और जर्मनी के कई समान मूल्य हैं।