संसद के संयुक्त सत्र में बोले मोदी, संविधान हमारे लिए सबसे बड़ा व पवित्र ग्रंथ

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संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते प्रधानमंत्री।

आरयू वेब टीम। कुछ दिन और अवसर ऐसे होते हैं जो हमारे अतीत के साथ हमारे संबंधों को मजबूती देते हैं। हमें बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। आज 26 नवंबर का दिन ऐतिहासिक दिन है। 70 साल पहले हमने विधिवत रूप से, एक नए रंग रूप के साथ संविधान को अंगीकार किया था। हमारा संविधान ‘हम भारत के लोग’ से शुरू होता है, हम भारत के लोग ही इसकी ताकत हैं, हम ही इसकी प्रेरणा हैं और हम ही इसका उद्देश्य हैं।

उक्‍त बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को संविधान दिवस के मौके पर संसद की संयुक बैठक को संबोधित करते हुए कही। इस दौर प्रधानमंत्री ने सबसे पहले मुंबई आतंकी हमले के मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित कर 26/11 आतंकी हमले में शहीद हुए लोगों को भी याद किया।

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साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि 26 नवंबर हमें दर्द भी पहुंचाता है, जब भारत की महान परंपराओं, हजारों साल की सांस्कृतिक विरासत को आज के ही दिन मुंबई में आतंकवादी मंसूबों ने छलनी करने का प्रयास किया था। मैं वहां मारी गईं सभी महान आत्माओं को नमन करता हूं।

वहीं स‍ंविधान पर बोलते हुए मोदी ने कहा कि हमारा संविधान हमारे लिए सबसे बड़ा और पवित्र ग्रंथ है। संविधान को अगर दो सरल शब्दों और भाषा में कहना है तो कहूंगा ‘भारतीयों के लिए गरिमा’ और ‘भारत के लिए  इन्हीं दो मंत्रों को हमारे संविधान ने साकार किया है। नागरिक की गौरव को सर्वोच्च रखा है और संपूर्ण भारत की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखा है।

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बीते सालों में हमने अपने अधिकारों पर बल दिया, यह जरूरी भी था क्योंकि एक बड़े वर्ग को संविधान ने अधिकार संपन्न किया, लेकिन आज समय की मांग है कि हमें नागरिक के नाते अपने दायित्वों पर मंथन करना ही होगा।

उन्होंने कहा कि सेवाभाव से कर्तव्य अलग है, कर्तव्यों में ही अधिकारों की सुरक्षा है, यह बात महात्मा गांधी ने भी कही थी। उन्होंने कहा कि अधिकारों और कर्तव्यों के बीच के इस रिश्ते और इस संतुलन को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बखूबी समझा था। आज जब देश पूज्य बापू की 150वीं जयंती का पर्व मना रहा है तो उनकी बातें और भी प्रासांगिक हो जाती हैं।

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