आरयू फॉलोअप,
लखनऊ। हत्यारों को उनकी सही जगह पहुंचाने में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले विसरा को सही तरीके से प्रिजर्व करने को लेकर अब सीएमओ और केजीएमयू प्रशासन एक दूसरे की जिम्मेदारी बताकर पल्ला झाड़ रहे है। दूसरी ओर पोस्टमॉर्टम के दौरान कबाड़ के जार में आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी का विसरा भरने की बात चार दिन पहले ‘Rajdhaniupdate.com‘ के उठाने पर मॉच्युरी में नए जारों में विसरा प्रिजर्व किया जाने लगा है।
हालांकि एफएसएल से सही और जल्दी रिपोर्ट के लिए विसरे को वॉयल में ही प्रिजर्व करने का नियम दो साल पहले ही एडीजी तकनीकी सेवा ने प्रदेशभर में लागू कर दिया था।

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एफएसएल निदेशक एसबी उपाध्याय का कहना है कि एडीजी के निर्देश के बाद अंबेडकर नगर, फैजाबाद, हरदोई, गाजीपुर समेत तमाम छोटे जिलों से विसरा वॉयल में उन तक पहुंच रहा है, लेकिन सूबे की राजधानी में ही नियमों की अनदेखी की जा रही है, जबकि कई बार कहने के बाद भी सुधार नहीं होने पर मॉच्युरी के फार्मासिस्ट को इसके लिए बीते अक्टूबर में ट्रेनिंग तक दी जा चुकी है।
23 सालों से कबाड़ के जार में भरा जा रहा था विसरा, सोते रहे जिम्मेदार, हमारी खबर पर बदले हालात
कबाड़ के जार में विसरा प्रिजर्व किए जाने का मामला ‘Rajdhaniupdate.com‘ के उठाने के बाद भले ही आज से नए जारों में विसरा प्रिजर्व करना शुरू कर दिया गया हो, लेकिन एक नई बात सामने आयी है। राजधानी के इकलौते पोस्टमॉर्टम हाउस में एक दो नही, बल्कि 23 सालों से विसरा प्रिजर्व करने के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही थी। यह चौंकाने वाला खुलासा हमारी पड़ताल में हुआ है।
दो साल पूर्व वॉयल में विसरा प्रिजर्व करने से भी पहले के नियमों की बात करें तो मॉच्युर्री से मिलने वाले शीशे के जारों में ही विसरा सुरक्षित रखा जाना चाहिए था, लेकिन मॉच्युरी के कर्मचारी व अन्य लोगों ने बताया कि 1994 के बाद से शीशे का जार मॉच्युरी में आया ही नहीं।
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जिसकी वजह मृतक के परिजनों और पुलिसकर्मियों से मॉच्युरी के बाहर ही बिकने वाले कबाड़ के जार मंगवाकर विसरा संरक्षित किया जाता रहा। कई बार तो बेहद गरीब तबके के लोगों के पास जार खरीदने तक के पैसे नहीं होने के चलते उन्हें दूसरे के सामने हाथ भी फैलाना पड़ता है।
चौंकाने वाली बात यह भी है कि 23 सालों से यह बड़ी गड़बड़ी पोस्टमॉर्टम हाउस में खुलेआम चलती रही, लेकिन सीएमओ, केजीएमयू प्रशासन ने आखिर इस पर नजर क्यों नहीं डाली। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो हर नजरिए से अनसेफ कबाड़ के जार में विसरा क्यों भरवाया जाता रहा। इस बात की जांच ईमानदारी के साथ उच्च स्तरीय होना चाहिए।
जानेें क्या बोले जिम्मेदार
फॉरेंसिक विभाग के एचओडी अनूप वर्मा ने बताया कि हम लोगों का मेन काम मॉच्युरी में सिर्फ पढ़ाई कराने से संबंधित होता है। विसरा वॉयल में क्यों नहीं भरवाया जा रहा है, यह बात सीएमओ बताएंगे। इतने सालों से गड़बड़ी क्यों हुई यह भी नहीं बता सकता।
वहीं सीएमओ जीएस वाजपेयी ने भी इस बेहद गंभीर मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि बिल्डिंग केजीएमयू की है, सारा मेंटिनेंस वहीं देखते है। वहां क्या और कैसे होना है यह बात भी केजीएमयू प्रशासन ही तय करता है। सीएमओ का काम पोस्टमॉर्टम के लिए वहां डॉक्टर उपलब्ध कराना है, जो किया जा रहा है, इससे ज्यादा वो कुछ नहीं बता सकते।