आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। राजधानी में मित्र पुलिस का असली चेहरा एक बार फिर सामने आया है। पुलिस की कार्यशैली से परेशान एक महिला ने मंगलवार को यूपी विधानसभा के सामने आत्मदाह करने की कोशिश की। हालांकि मौके पर तैनात सुरक्षाकर्मी ने महिला को आत्मदाह करने से बचा लिया।
जिसके बाद पुलिस ने महिला को गौतमपल्ली थाने लाकर पूछताछ कर मामले में जांच शुरू की। पुलिस के अनुसार सुबह करीब 11 बजे पूनम विश्वकर्मा (काल्पनिक नाम) नाम की महिला विधानसभा के पास पहुंची और अपने ऊपर मिट्टी का तेल डालने लगी। महिला को ऐसा करते देख मौके पर तैनात इंस्पेक्टर ने महिला कांस्टेबल के जरिए उसे आत्मदाह करने से रोका।
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वहीं पूछताछ में महिला ने बताया कि नौ जुलाई 2016 को उसने मॉडल हाउस सरस्वती शिशु मंदिर के प्रिंसिपल विनोद अवस्थी के खिलाफ छेड़छाड़ के आरोप में कैसरबाग थाने में एफआईआर दर्ज करायी थी, जिसमें पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी, जिसके बाद से आरोपी खुद को आरएसएस कार्यकर्ता बताकर परेशान करने के साथ ही धमकी भी देता है। महिला खुद भी मॉडल हाउस सरस्वती शिशु मंदिर में शिक्षिका थी।
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पीड़िता का आरोप है कि उसने जब इसकी शिकायत पुलिस में की तो पुलिस ने आरएसएस कार्यकर्ता के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए उसके पति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी। पुलिस विनोद अवस्थी से मिलकर उसे और उसके पति को परेशान कर रही है, जिससे परेशान होकर आत्मदाह के सिवाए कोई और चारा नहीं बचा।
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शिकायत करने के बाद भी सीओ चौक और इंस्पेक्टर कैसरबाग आरएसएस कार्यकर्ता पर कार्रवाई करने की जगह उल्टा उसी के ऊपर दबाव बनाकर समझौते का प्रयास कर रहे। महिला ने मीडिया के सामने दोषी प्रिंसिपल के अलावा मामले में गड़बड़ी करने वाले पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की मांग की है।
महिला ने प्रिंसिपल के खिलाफ कैसरबाग कोतवाली में छेड़खानी का मुकदमा दर्ज कराया था। जिसके बाद आरोपित का चालान कर उसे जेल भेजा गया था। जेल से छूटने के बाद महिला ने दूसरी एफआइआर प्रिंसिपल के खिलाफ मारपीट और धमकाने की तालकटोरा थाने में दर्ज कराया थी। जो जांच में फर्जी पायी गयी। वहीं महिला द्वारा पुलिस पर लगे आरोपों की भी जांच करायी जा रही है। विकास चंद्र त्रिपाठी, एएसपी पश्चिम