आरयू ब्यूरो, लखनऊ। पर्यावरणीय आपदाएं मानव की अनियोजित विकास नीतियों और गलत आदतों का परिणाम हैं। देश की राजधानी दिल्ली एक महीने से गैस चैंबर बन गई है। श्वांस रोगियों और बुजुर्गों के लिए स्थिति बेहद गंभीर है। इससे सरकार चिंतित व न्यायालय सख्त है।
ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में एक कार्यक्रम में मानसून के बदलते पैटर्न पर कही। साथ ही कहा कि पहले मानसून 15 जून से शुरू होकर 15 अगस्त तक समाप्त हो जाता था, लेकिन अब यह 15 अगस्त से 15 अक्टूबर तक खिंच जाता है। इससे फसलों की कटाई और बुवाई के समय में भी बदलाव हो रहा है। कहीं अतिवृष्टि है तो कहीं सूखा, इससे किसान तबाह हो रहे हैं।
इतना ही नहीं जल प्रदूषण को भी प्रमुख समस्या बताते हुए कहा कि प्रदूषित जल से बीपी, शुगर और पेट की बीमारियां बढ़ रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘हर घर नल’ योजना के माध्यम से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति हो रही है, जिससे जल जनित बीमारियों पर नियंत्रण पाया जा सके।
हमने विकास भी अनियोजित व अवैज्ञानिक किया है। बड़ा उद्योग लगाएंगे और कचरा नदियों में उड़ेल देंगे। जीवनदायिनी नदियों को अस्वस्थ करके हम मानव व जीव सृष्टि पर आपदा खड़ी कर रहे हैं।
वहीं क्षमता से अधिक पेस्टिसाइड व केमिकल का छिड़काव करने से बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। एक राज्य के भीतर सरकार को ऐसी ट्रेन चलानी पड़ी, जिसे कैंसर ट्रेन नाम दिया गया, यानी ट्रेन में आने वाले अधिकतर पेशेंट कैंसर के थे। यह आपदा कहीं और से नहीं आई, बल्कि मनुष्य ने स्वयं ही खड़ा किया है। योगी ने बताया कि यूपी सरकार ने कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए कई अभियान शुरू किए हैं। 2017 के बाद से 16 लाख एलईडी स्ट्रीट लाइट्स लगाई गईं, इससे 9.4 लाख टन कार्बन उत्सर्जन कम हुआ और 968 करोड़ रुपये की बचत हुई।
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सीएम ने बताया कि 2017 से अब तक प्रदेश में 204 करोड़ पौधारोपण किया गया है। राज्य का वनाच्छादन दस फीसद तक पहुंच गया है, जिसे अगले तीन वर्षों में 15 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि यूपी में 23,000 हेक्टेयर लैंडबैंक तैयार किया गया है, जिसका उपयोग रिन्यूवल एनर्जी के लिए किया जा सकता है।