आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इस बार 15 अगस्त को मदरसों में होने वाले कार्यक्रमों की वीडियो और फोटोग्राफी कराएगी। इतना ही नहीं सरकार की ओर से मदरसों में होने वाले कार्यक्रमों का फॉर्मेट भी तय कर जारी कर दिया गया है। सूबे की सरकार के इस फैसले पर लोगों ने आपत्ति जताना शुरू कर दिया है। मदरसा संगठनों ने कहा है कि यह अफसोसजनक बात है कि हम लोगों को शक की नजरों से देखा जा रहा है।
बताया जा रहा है कि मदरसा परिषद बोर्ड की ओर से बीते तीन अगस्त को जिला अल्पसंख्यक अधिकारी को एक पत्र भेजा गया है। पत्र में यह बताया गया है कि स्वतंत्रा दिवस में मदरसों को कब और क्या करना है। इतना ही नहीं इस पूरे कार्यक्रम की फोटो और वीडियोग्राफी करवाने के साथ ही उन्हें कार्यालय में जमा करवाने का भी निर्देश दिया गया है।
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पत्र के अनुसार कार्यक्रमों का क्रम इस प्रकार होगा-
1- सुबह आठ बजे झण्डा रोहण एवं राष्ट्रगान होगा।
2- आठ बजकर दस मिनट पर स्वतंत्रता संग्राम शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाए।
3- स्वतंत्रा दिवस के महत्व पर प्रकाश डालना।
4- मदरसों के छात्र व छात्राओं द्वारा राष्ट्रीय गीत का प्रस्तुतीकरण।
5- स्वतंत्रता दिवस की पृष्ठभूमि तथा स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानिया व शहीदों के संबंध में जानकारी देना।
6- राष्ट्रीय एकता पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम व खेल कूद प्रतियोगिता का आयोजन।
7- तथा सबसे अंत में मिठाई बांटी जाए।
लोगों ने जताना शुरू किया विरोध
पहली बार यूपी की किसी सरकार की ओर से जारी इस तरह के आदेश के बाद अब विवाद उठना शुरू हो गया है। आल इण्डिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया गोरखपुर शाखा के जनरल सेक्रेट्ररी हाफिज नजरे आलम कादरी ने मीडिया से कहा कि शासनादेश के अनुसार प्रातः 8 बजे झंडारोहण एवं राष्ट्रगान व प्रातः 8.10 बजे से स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों को श्रद्धांजलि मदरसों के छात्र-छात्राओं द्वारा राष्ट्रीय गीतों का प्रस्तुतिकरण व अन्य सांस्कृतिक प्रोग्रामों का आयोजन करने के साथ उनकी फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी कराने का निर्देश जारी किया हैं।
उन्होंने कहा कि मदरसों में देश प्रेम और भाईचारे का पाठ पढ़ाया जाता है। राष्ट्रीय पर्वों पर भव्य प्रोग्राम आयोजित होते हैं, लेकिन जिस तरह से दिशा-निर्देश जारी किया गया है उससे कहीं न कहीं शासन की मंशा पर सवाल जरूर खड़ा होता है।
वहीं मदरसा प्रबंधक हाजी सैयद तहव्वर हुसैन ने परिषद द्वारा जारी पत्र पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जंग-ए-आजादी में मदरसा और यहां के शिक्षकों को बहुमूल्य योगदान रहा हैं। इसे पूरी दुनिया जानती है। इसके बावजूद मदरसों को शक की निगाह से देखा जाना न सिर्फ निदंनीय है बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण भी है।
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