RSS बैन करने की मांग करने वाले लालू यादव की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, जमानत के खिलाफ CBI पहुंची सुप्रीम कोर्ट

लालू यादव
लालू यादव। (फाइल फोटो)

आरयू वेब टीम। बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री व राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ पर बैन लगाने की मांग करने वाले लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें बढ़ सकती है। दरअसल  चारा घोटाला में लालू यादव को मिली जमानत के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट सीबीआई की याचिका पर सुनवाई को तैयार है। इस मामले में 25 अगस्त को सुनवाई होगी। चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू को हाईकोर्ट से जमानत मिली थी।

सीबीआइ के मुताबिक लालू प्रसाद को पांच मामले में अलग-अलग सजा हुई है। 15 फरवरी 2022 को सीबीआइ कोर्ट ने चारा घोटाले के पांचवें केस में लालू यादव को दोषी करार दिया है। यह डोरंडा ट्रेजरी से जुड़ा है। डोरंडा ट्रेजरी से अवैध तरीके से 139.35 करोड़ रुपए निकालने का आरोप है।

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लालू यादव को जिन पांच मामलों में सजा हुई है उनमे कई में आधी सजा हो जाने की बात कही गई है। इसी आधार में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। बाद में लालू यादव अपना उपचार कराने के लिए सिंगापुर गए थे। मेडिकल ग्राउंड पर लालू यादव को जमानत मिलने का भी सीबीआई ने विरोध किया था। हालांकि सिंगापुर से उपचार कराकर लौटने के बाद लालू यादव पर शिकंजा कसने के लिए फिर से सीबीआई ने इसी वर्ष मार्च में याचिका दायर की थी।

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सीबीआई अदालत ने लालू यादव को पिछले साल 15 फरवरी को इस मामले में दोषी करार दिया था। 21 फरवरी को उन्हें पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई थी और 60 लाख रुपये जुर्माना लगाया था। बाद में लालू यादव के जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद पहले उन्होंने अपना किडनी ट्रांसप्लांट कराया।

वहीं हालिया समय में लालू की राजनीतिक गतिविधियाँ फिर से बढ़ गई हैं। वे  विपक्षी दलों के इंडिया को मजबूत करने में लगे हैं। पटना और बेंगलुरु की बैठक में भी लालू यादव बढ़चढ़कर हिस्सा लिए थे। ऐसे में लालू की बढ़ी राजनीतिक सक्रियता के बीच अब लालू यादव की मुश्किलें फिर से बढ़ सकती हैं।

क्या है पूरा मामला

बिहार (झारखंड अलग होने के पूर्व) में वर्ष 1990 में मुख्यमंत्री बनने के बाद लालू यादव पर राज्य के अलग अलग जिलों के कोषागार से अवैध निकासी करने के आरोप लगा था। इस कारण वर्ष 1996 में उन्हें मुख्यमंत्री पद की कुर्सी छोडनी पड़ी। लालू की जगह उनकी पत्नी राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनी और पहली बार लालू को इस मामले में 30  जुलाई 1997 को जेल जाना पड़ा। वहीं लालू को इस मामले में पांच अलग अलग केसों में सजा हो चुकी है।

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