आरयू वेब टीम। जम्मू-कश्मीर में पिछले कई महीनों से फोर जी इंटरनेट सेवा बंद है। हाल ही में कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के बीच जम्मू-कश्मीर में दोबारा से फोर जी इंटरनेल बहाल करने से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर फोर जी इंटरनेट बहाली का आदेश देने से उच्चतम न्यायालय ने फिलहाल इनकार कर दिया है। साथ ही राष्ट्र सुरक्षा और मानव अधिकार को देखते हुए गृह मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र शासित प्रदेश में फोर जी इंटरनेट देने की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि राष्ट्र सुरक्षा और मानव अधिकारों के बीच संतुलन कायम करने की जरूरत है। साथ ही कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए गृह मंत्रालय के सचिव की अगुवाई में हाई पावर कमिटी बनाने का आदेश दिया है। ये कमेटी जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति का आकलन कर फैसला लेगी।
यह भी पढ़ें- कश्मीर में इंटरनेट बंद पर नीति आयोग के सदस्य का तर्क, गंदी फिल्में देखने के अलावा वहां इंटरनेट पर कुछ नहीं करतें
न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि इस समिति में जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव और संचार सचिव भी शामिल होंगे। कमेटी मामले में याचिकाकर्ता द्वारा रखी गई मांगों का आंकलन करेगी। कमेटी सभी हालातों पट गौर करने के बाद यह देखेगी की जम्मू कश्मीर में फोर जी इंटरनेट सेवा की बहाली जरूरी है या पाबंदी। कमेटी जम्मू कश्मीर के हर क्षेत्र का जिला स्तर पर आंकलन करेगी।
मालूम हो कि पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि मौजूदा टूजी सर्विस के चलते बच्चों की पढ़ाई, कारोबार में दिक्कत आ रही है, कोरोना महामारी के बीच राज्य में लोग वीडियो कॉल के जरिये डॉक्टरों से जरूरी सलाह नहीं ले पा रहे। इंटरनेट के जरिये डॉक्टरो तक पहुंचने के अधिकार, जीने के अधिकार के तहत आता है। लोगो को डॉक्टर तक पहुंचने से रोकना उन्हें आर्टिकल 19, 21 के तहत मिले मूल अधिकार से वंचित करना है।