आरयू ब्यूरो,लखनऊ। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और रामपुर से सपा विधायक मोहम्मद आजम खान की जमानत अर्जी पर गुरुवार को सुनवाई पूरी होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला रिजर्व कर लिया है। कोर्ट इस मामले में अगले हफ्ते में अपना फैसला सुनाएगी। जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की सिंगल बेंच ने करीब ढाई घंटे चली लंबी बहस के बाद दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला रिजर्व कर लिया है।
साफ है कि आजम खान को हाईकोर्ट से आज कोई राहत नहीं मिल सकी है, इसलिए उन्हें अभी भी जेल में ही रहना होगा। जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की सिंगल बेंच में दो दिनों तक चली सुनवाई में आजम खान के वकीलों ने उनके ऊपर दर्ज कराए गए मुकदमे को गलत बताया और कहा कि सभी मुकदमे राजनीति से प्रेरित होकर दर्ज कराए गए हैं और 86 मुकदमों में अब तक उन्हें जमानत भी मिल चुकी है, इसलिए इस मुकदमे में भी जमानत मिलनी चाहिए।
वहीं राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ताओं ने जमानत अर्जी का विरोध किया और शत्रु संपत्ति की जमीन ट्रस्ट में फर्जी दस्तावेज के आधार पर शामिल करने की बात कही, हालांकि आजम खान के वकीलों ने कोर्ट में बताया कि वर्ष 2014 में जमीन बीएसएफ को दे दी गई थी और इस मामले में केस हुआ था। इस मामले में कोर्ट में स्टे है। 2015 में शिया वक्फ बोर्ड ने भी इस जमीन पर दावा किया। इस मामले में भी हाई कोर्ट से स्टे है, जबकि राज्य सरकार इसे शत्रु संपत्ति बताते हुए सरकार को कस्टोडियन बता रही है।
आजम खान के अधिवक्ताओं ने दलील दी की इस मामले में जमानत के पर्याप्त आधार हैं, इसलिए उनको जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। आजम खान के वकील कमरुल हसन सिद्दीकी के मुताबिक, शत्रु संपत्ति से जुड़े इस आखिरी मामले में अगर आजम खान को जमानत मिलती है, तो उनके जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो जाएगा।
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सपा विधायक के खिलाफ शत्रु संपत्ति से जुड़े इस मामले में अगस्त 2019 में रामपुर के अजीम नगर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में विवेचना के बाद चार्जशीट भी दाखिल हो गई है। बहरहाल, आजम खान पिछले दो साल से सीतापुर जेल में बंद हैं और उनकी रिहाई को लेकर यूपी का सियासी पारा चढ़ा हुआ है।
गौरतलब है कि मोहम्मद आजम खान के खिलाफ कुल 87 आपराधिक मामले दर्ज हैं। जिनमें से 86 मामलों में आजम खान को जमानत मिल चुकी है। उनके खिलाफ आखिरी मामला शत्रु संपत्ति से जुड़ा हुआ है। इस मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट में चल रही थी। इससे पहले चार दिसंबर 2021 को हाई कोर्ट ने इस मामले में बहस पूरी होने के बाद जजमेंट रिजर्व कर लिया था, लेकिन करीब चार महीने तक इस मामले में फैसला ना आने के बाद यूपी की योगी सरकार ने हाईकोर्ट में अर्जेंसी एप्लीकेशन और सप्लीमेंट्री दाखिल की।
सरकार ने कोर्ट से मांग की कि इस मामले में कुछ नए तथ्य सामने आए हैं जिन्हें वह कोर्ट में पेश करना चाहती है। कोर्ट ने राज्य सरकार की अर्जी स्वीकार करने के बाद इस मामले में दोबारा सुनवाई शुरू की, जबकि चारमई और पांच मई (दो दिन) तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है।