आरयू वेब टीम। विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने गुरुवार को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के चुनाव में खरीद-फरोख्त में शामिल होने का आरोप लगाया साथ ही इसकी जांच की मांग की। वहीं यशवंत सिन्हा ने दावा किया कि भगवा पार्टी ‘ऑपरेशन कमल’ कर रही है, जिसके तहत वह अपने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए कथित तौर पर “गैर-भाजपा विधायकों को बड़ी रकम” की पेशकश कर रही है, क्योंकि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष परिणाम से डरती है।
कांग्रेस विधायकों से मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा, “मैंने आज सुबह गहरे दुख के साथ मध्य प्रदेश के एक प्रमुख अखबार में छपी खबर को शीर्षक के साथ पढ़ा – ‘भाजपा की नजर कांग्रेस के 26 आदिवासी विधायकों पर है, क्रॉस वोटिंग की तैयारी’।” उन्होंने आरोप लगाया, “मैंने विश्वसनीय स्रोतों से यह भी सुना है कि राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार को वोट देने के लिए गैर-भाजपा विधायकों को बड़ी रकम की पेशकश की जा रही है।” इसका स्पष्ट अर्थ है कि गणतंत्र के सर्वोच्च पद के चुनाव में भी अब ‘ऑपरेशन कमल’ लागू किया जा रहा है, सिन्हा ने कहा, यह भी दर्शाता है कि भाजपा एक स्वतंत्र और निष्पक्ष राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम से भयभीत हो गई है।
इस दौरान यशवंत सिन्हा ने चुनाव आयोग और राज्यसभा के महासचिव, जो राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर हैं, से सत्तारूढ़ दल की कथित भ्रष्टाचार प्रथाओं की जांच करने का आग्रह किया। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, “ऑपरेशन कमल’ का सही नाम ‘ऑपरेशन मल’ है, क्योंकि यह सत्ताधारी दल द्वारा गंदे राजनीतिक भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है। इसका इस्तेमाल विपक्षी दलों में दलबदल पैदा करने और यहां तक कि राज्य सरकारों द्वारा संचालित राज्य सरकारों को गिराने के लिए किया गया है।“
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उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश के अलावा, भाजपा ने इसका इस्तेमाल कर्नाटक, गोवा, अरुणाचल प्रदेश और हाल ही में महाराष्ट्र में विपक्षी सरकारों को हटाने के लिए किया है। इस सब में, मुझे भारत में लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी सुनाई देती है।” भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए ओडिशा के एक आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है। राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होंगे।
गौरतलब है कि कमल भाजपा का चुनाव चिह्न है। हाल के वर्षों में, विपक्षी दल भाजपा पर जिन राज्यों में शासन नहीं है, वहां सत्ता हासिल करने के लिए ‘ऑपरेशन कमल’ को चलाने का आरोप लगाते रहे हैं।