लखनऊ पहुंची गांधी शांति यात्रा, यशवंत सिन्हा ने कहा, समाज बांटने के लिए लाया गया नागरिकता संशोधन कानून

गांधी शांति यात्रा
मीडिया से बात करते पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा साथ में अखिलेश यादव व शत्रुघन सिन्हा।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ गांधी शांति यात्रा लेकर लखनऊ पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा यह कानून पूरी तरह असंवैधानिक है। यह सिर्फ समाज को बांटने और समाज में आग लगाने के लिए लाया गया है। इसके अलावा इसका कोई मकसद नहीं है।

सपा मुख्‍यालय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया से बात करते हुए यशवंत सिन्हा ने अमित शाह की समर्थन रैली में दिए गए बयान का जिक्र करते हुए कहा कि देश के गृह मंत्री अमित शाह ने लखनऊ में कहा कि यह कानून वापस नहीं लिया जाएगा चाहे जितना विरोध हो। उनकी यह भाषा अलोकतांत्रिक है। सरकार जनता के खिलाफ काम कर रही है। इस कानून की कोई जरूरत नहीं थी, क्योंकि सरकार के पास पहले से ही अधिकार है कि वह जिसे चाहे देश की नागरिकता दे, लेकिन अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए इस कानून को लाया गया है।

महिलाओं के कंबल और रजाई छीनना आतंकवाद’

यशवंत सिन्हा ने कहा, ‘सरकार का काम है जो वाकई मुद्दे हैं उससे ध्यान भटकाओ, समाज को आपस में उलझा दो, आपस में ही उलझकर रह जाएं। शांतिपूर्ण तरीके से बैठकर महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं तो उनके कंबल और रजाई उठाकर ले गए। यह एक तरह का टेररिज्म है इसलिए देश में शांति की जरूरत है। ऊपर से सीएम की भाषा निंदनीय है।’

भटकाने का काम कर रहे ये जोड़ीदार’

यशवंत सिन्हा ने कहा, ‘असम समझौते में कहीं भी धर्म को आधार नहीं बनाया गया है और आप संसद में खुलेआम कह रहे हैं कि पहले सीएए आएगा फिर एनआरसी। आंदोलन का प्रेशर पड़ा तो पीएम मोदी पूछने लगे कि एनआरसी क्या है, डिटेंशन सेंटर नहीं है। भटकाने का काम कर रही है ये जोड़ीदार।’

कैसे साबित करेंगे हुआ उत्पीड़न

उन्‍होंने सवाल उठाते हुए कहा कि इस कानून के अभी नियम ही नहीं बने हैं तो इसे लागू कैसे किया जा सकता है? कानून में कहा गया कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के लोगों का अगर धर्म के आधार पर उत्पीड़न हुआ है या फिर उनमें उत्पीड़न का डर है तो वह भारत में नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं पर आवेदकों का उत्पीड़न हुआ है इसे वह कैसे साबित करेंगे? इस पर कुछ नहीं कहा गया है। इसलिए इस कानून को लागू नहीं किया जा सकता।

राज्यपाल भाजपा नेता की तरह कर रहे काम

वहीं, केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों पर कानून न लागू करने पर संविधान के उल्लंघन की दुहाई देने पर यशवंत सिन्हा ने कहा कि इस समय कई राज्यों के राज्यपाल संविधान के नुमाइंदे के तौर पर नहीं बल्कि भाजपा नेता की तरह काम कर रहे हैं। क्या ये संविधान का उल्लंघन नहीं है? सीएए, एनआरसी और एनपीआर वर्तमान मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए लाए गए हैं। इनकी कोई आवश्यकता नहीं है। इन्हें वापस लिया जाना चाहिए।

इतनी खराब हो चुकी है देश की अर्थव्यवस्था कि…

आज देश की अर्थव्यवस्था इतनी खराब हो चुकी है कि एअर इंडिया को खरीदार तक नहीं मिल रहे हैं। सरकार पूरी तरह कंगाल हो चुकी है। सरकार ने आरबीआइ से करीब एक लाख 45 हजार करोड़ रुपये लेकर कुछ उद्योगपतियों को दे दिया। इससे अर्थव्यवस्था को कोई फायदा नहीं हुआ है। किसानों के पास आत्महत्या करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है।

इतना ही नहीं यशवंत सिन्हा ने कहा हम तीन बिंदुओं पर इसका विरोध करते हैं। ये देश के संविधान के खिलाफ ही नहीं देश के मौलिक ढ़ाचे के खिलाफ है। दूसरा इस कानून की आवश्यकता ही नहीं थी क्योंकि सरकार के पास पहले से ही अधिकार है कि वो जिसे चाहे नागरिकता दे। ये अर्थव्यवस्था की स्थिति से जनता का ध्यान हटाने के लिए ये बिल लाया गया है। तीसरा इस कानून के नियम ही नहीं बने हैं। इसलिए इसे लागू नहीं किया जा सकता है।

देश को एक बार फिर की जा रही लाइन में लगाने की कोशिश: अखिलेश

प्रेसवार्ता में मौजूद यूपी के पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने कि केंद्र सरकार अब नोटबंदी की बात ही नहीं करती क्योंकि वो भी फेल हो गया था। अब एक बार फिर से देश को लाइन में लगाने की कोशिश की जा रही है। हम नागरिकता कानून, एनआरसी और एनपीआर का विरोध करते हैं क्योंकि यह असांवैधानिक है।

मालूम हो कि यशवंत सिन्हा पूरे देश में सीएए के खिलाफ गांधी शांति यात्रा निकाल रहे हैं, जो कि महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान होते हुए आज लखनऊ पहुंची है। यहां सपा कार्यालय में उनका जोरदार स्वागत हुआ। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा व अखिलश यादव भी मौजूद रहे। यात्रा का समापन 30 जनवरी को दिल्ली में राजघाट पर होगा। यात्रा की शुरुआत नौ जनवरी को गेटवे ऑफ इंडिया से हुई थी, क्योंकि महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से यहीं पर लैंड हुए थे।

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