CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे IUML-DYFI ने कहा ये कानून करता है मुस्लिमों से भेदभाव

मुस्लिमों से भेदभाव

आरयू वेब टीम। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए)-201 लागू होने के बाद विवाद शुरू हो गया है। मोदी सरकार के इसे लागू करने के अगले दिन इसके खिलाफ मुस्लिम संगठन सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। मंगलवार को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) की ओर से कहा गया, “यह कानून मुस्लिमों से भेदभाव करता है।

साथ ही ये भी तर्क दिया कि ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पेडिंग है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को इसे लागू नहीं करना चाहिए था।” आईयूएमएल की ओर से देश की सबसे बड़ी अदालत में दी गई याचिका में सीएए को असंवैधानिक करार दिया गया है। मुस्लिम संगठन की तरफ से इस दौरान सीएए पर स्टे लगाने की मांग भी की गई है।

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बता दें कि विवादों में रहे सीएए को लोकसभा चुनाव से पहले लागू किए जाने के बाद अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता दी जा सकेगी। सीएए के नियम जारी हो जाने के साथ ही मोदी सरकार इन तीन देशों के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी, हालांकि लोकसभा चुनाव 2024 के पहले इसके ऐलान को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं।

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