आरयू ब्यूरो, लखनऊ। यूपी की स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत की गयीं। कोरोना के दौरान हमने मजबूत लड़ाई लड़ी है। गांव-गांव और घर-घर जाकर स्क्रीनिंग की गयी। कोरोना की जांच की गयी, उनका इलाज किया गया। आज हम 1354 स्टाफ नर्सों को नियुक्ति पत्र बांटा जा रहा। मुझे खुशी है कि इसमें 90 फीसदी महिलाएं हैं। आप ने बेहतरीन प्रशिक्षण लिया है तो नौकरी की कमी नहीं है। मानक के अनुसार भारत के साथ दुनिया भर में डॉक्टरों और स्टॉफ नर्सों की कमी है, उन्हें भरे जाने की जरूरत है। राज्य सरकार के प्रयास की वजह से स्वास्थ्य सुविधाएं मजबूत हुई हैं।
उक्त बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को लोक भवन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लोकसेवा आयोग से चयनित एक हजार 354 स्टॉफ नर्सों को नियुक्ति पत्र वितरित कर कार्यक्रम को संबोधित कर कही। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि पहले उत्तर प्रदेश बीमारू राज्य माना जाता था। मतलब यहां रहने वाले ही बीमार नहीं थे, बल्कि राज्य ही बीमार था। आज मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि उत्तर प्रदेश देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है।
योगी ने कहा कि स्टाफ नर्स स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ होती हैं। उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। मरीज के सबसे करीब नर्स ही रहती है। आप का व्यवहार अच्छा होना चाहिए। आपके व्यवहार से भर्ती मरीज को यह अहसास होना चाहिए कि वह ठीक हो रहा है। अगर डॉक्टर, स्टॉफ नर्स का व्यवहार ठीक नहीं होगा तो मरीज तक ठीक नहीं हो सकता। सिस्टर कहकर आपको पूरा अस्पताल सम्मान भी देता है। इस सम्मान को आपको ही बनाकर रखना होगा।
सीएम ने कहा कि कोरोना कालखण्ड में दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र में यूपी के श्रमिकों के साथ भेदभाव हुआ। देश चिंतित था कि इतनी बड़ी संख्या में श्रमिक उत्तर प्रदेश जाकर कैसे रहेंगे। हम लोगों ने उनकी स्किल मैपिंग कराई। उन्हें रोजगार से जोड़ा। अन्य सुविधाएं भी मुहैया कराई गयीं। भाजपा सरकार में एक करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ा गया। पुलिस में एक 60 हजार से अधिक नियुक्ति दी गयी। माध्यमिक शिक्षा में 40 हजार और बेसिक शिक्षा में करीब डेढ़ लाख युवाओं को नौकरी दी गयी। कुल मिलाकर पांच साल में पांच लाख सरकारी नौकरियां दी गयीं।
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वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती प्रक्रिया को तेजी से करेंगे। टेली मेडिसिन की व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत है। अगर ऐसा हम कर पाए तो बड़ी आबादी को बीमारी के दौरान इलाज मिल सकेगा। जहां बीमार वहीं उपचार के आधार पर काम करना है।
आगे कहा कि समय पर मरीज का इलाज होने से बीमारी बड़ा रूप नहीं ले पाएगी। बड़े अस्पतालों में भीड़ को आने से रोका जा सकता है। 2017 से पहले जेपनीज इंसेफलाइटिस हजारों मौतें थीं। 2017 के बाद हमारी सरकार ने प्रयास किया गया। आज 95 फीसदी मौतें कम हुई हैं। इस मौके पर राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह और चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थसारथी सेन शर्मा समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।