आरयू वेब टीम। भारतीय नौसेना की ताकत में और इजाफा हो गया है। इंडियन नेवी को एक साइलेंट किलर ‘सैंड शार्क’ मिल गई है। नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार की मौजूदगी में कलवारी श्रेणी की 5वीं सबमरीन ‘वागीर’ को सोमवार को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। वहीं इसकी खासियत का जिक्र करते हुए नौसेना ने कहा है कि आईएनएस वागीर दुनिया के बेहतरीन सेंसर और टारपीडो और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस है। इस पनडुब्बी में विशेष अभियानों के लिए समुद्री कमांडों को लॉन्च करने की भी क्षमता है।
कमांडिंग ऑफिसर कमांडर दिवाकर एस ने कहा कि यह पनडुब्बी नौसेना और देश की सुरक्षा और जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि इसे आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा सकता है। ये पनडुब्बी ‘वागीर’ पूरी तरह से भारत में बनी है। इसे मझगोन डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड मुंबई में बनाया गया है। सबमरीन ‘वागीर’ को समंदर की साइलेंट किलर भी कहा जाता है। ये कलावरी सीरीज की पांचवीं सबमरीन है। भारतीय नौसेना में चार पनडुब्बियां पहले ही शामिल की जा चुकी हैं। एमडीएल ने यह पांचवीं पनडुब्बी नवंबर 2022 में नौसेना को सौंपी थी।
पनडुब्बी की विशेषताएं
यह पनडुब्बी 67 मीटर लंबी और 21 मीटर ऊंची है। पनडुब्बी की पानी के ऊपर 20 किमी प्रति घंटे और पानी के नीचे 40 किमी प्रति घंटे की गति क्षमता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पनडुब्बी में 50 से ज्यादा नाविकों और नौसेना अधिकारियों के साथ काम किया जा सकता है। साथ ही यह 16 टॉरपीडो, आधुनिक मिसाइलों से लैस है। इतना ही नहीं स्टील्थ टेक्नोलॉजी से यह रडार की पकड़ में भी नहीं आती और किसी भी मौसम में कार्य करने में सक्षम है।
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सबसे कम निर्माण समय का दावा
‘वागीर’ पनडुब्बी को अपने नए अवतार में लॉन्च किया गया है और अब तक की सभी पनडुब्बियों में से सबसे कम निर्माण समय का दावा करती है। समुद्री परीक्षणों की शुरुआत करते हुए 22 फरवरी को पहली यात्रा के लिए तैयार है। इस दौरान वह कठिन और चुनौतीपूर्ण समुद्री परीक्षणों से गुजर चुकी है। एमडीएल ने 20 दिसंबर 22 को पनडुब्बी को भारतीय नौसेना को सौंप दिया था।