नेताजी की जयंती पर PM मोदी ने अंडमान-निकोबार के 21 अनाम द्वीपों का किया नामकरण, कही ये बातें

अंडमान-निकोबार
कार्यक्रम को संबोधित करते पीएम मोदी।

आरयू वेब टीम। आज एक महान दिन है जिसे भारत के ‘अमृत काल’ के इतिहास में एक महान अध्याय के रूप में याद किया जाएगा। अंडमान की ये धरती वो धरती है जहां पहली बार तिरंगा फहराया गया था। जहां पहली बार स्वतंत्र भारत की सरकार बनी। आज नेताजी सुभाष बोस की जयंती है। देश इस दिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाता है।

उक्त बातें सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पराक्रम दिवस के अवसर कार्यक्रम को संबोधित कर कही। इस मौके पर पीएम ने 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े गुमनाम द्वीपों का नामकरण किया। साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि जिन 21 द्वीपों को आज नए नाम मिल गए हैं, उनके नामकरण में कई संदेश निहित हैं। संदेश एक भारत, श्रेष्ठ भारत का है, यह संदेश हमारे सशस्त्र बलों की वीरता का है।

समुद्री किनारों और प्रकृतिक सौंदर्य देखने

पीएम मोदी ने कहा कि पहले लोग समुद्री किनारों और प्रकृतिक सौंदर्य को देखने अंडमान आते थे लेकिन अब अंडमान से जुड़े स्वाधीनता के इतिहास को जानने के लिए भी उत्सुकता बढ़ रही है। अब लोग इतिहास को जानने और उसको जीने के लिए भी यहां आ रहे हैं। अपनी विरासत पर गर्व की भावना इस परंपरा के लिए और अधिक आकर्षण पैदा कर रही है। मोदी ने कहा कि सभी 21 परमवीरों का एक ही संकल्प था “भारत प्रथम”, आज इन द्वीपों के नामकरण में इनका संकल्प सदा के लिए अमर हो गया है। अंडमान की क्षमता बहुत बड़ी है। पिछले आठ सालों में देश ने इस दिशा में लगातार प्रयास किए हैं।

सबसे पहले तिरंगा फहराया

पीएम ने कहा कि अंडमान में जिस जगह नेता जी ने सबसे पहले तिरंगा फहराया था वहां आज गगनचुंबी तिरंगा आजादी हिन्द फौज के पराक्रम का गुणगान कर रहा है। समंदर किनारे लहराते तिरंगे को देख, यहां आने वाले लोगों में देशभक्ति का रोमांच बढ़ जाता है। भारत के द्वीपों के पास समृद्ध और विकसित होने के लिए महान संसाधन, क्षमताएं और ताकत हैं। लेकिन दुर्भाग्य से इन जगहों पर कभी उचित ध्यान नहीं दिया गया। लेकिन अब द्वीपों को पर्यटन का भी बेहतरीन ठिकाना बनाने के लिए सभी मोर्चों पर विकास सुनिश्चित किया जा रहा है।

सेल्यूलर जेल की कोठरियों से…

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि अंडमान की ये धरती वो भूमि है, जिसके आसमान में पहली बार मुक्त तिरंगा फहरा था। सेल्यूलर जेल की कोठरियों से आज भी अप्रतिम पीड़ा के साथ-साथ उस अभूतपूर्व जज्बे के स्वर सुनाई पड़ते हैं। इन 21 द्वीपों को अब परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से जाना जाएगा। आज के इस दिन को आजादी के अमृत काल के एक महतपूर्ण अध्याय के रूप में आने वाली पीढ़ियां याद करेंगी। हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए ये द्वीप एक चिरंतर प्रेरणा का स्थल बनेंगे। मैं सभी को इसके लिए बहुत बहुत बधाई देता हूं।

आजाद हिंद फौज के पराक्रम

पीएम ने आगे कहा कि मैं नेता जी सुभाष और परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। जिस भूमि पर नेता जी ने सबसे पहले भारत का झंडा फहराया था, आज आजाद हिंद फौज के पराक्रम की सभी प्रशंसा कर रहे हैं। दशकों से नेता जी के जीवन से जुड़ी फाइलों को सार्वजानिक करने की मांग हो रही थी, यह काम भी देश ने पूरी श्रद्धा के साथ आगे बढ़ाया। ये काम देशहित में बहुत पहले हो जाने थे, क्योंकि जिन देशों ने अपने नायक-नायिकाओं को समय रहते जनमानस से जोड़ा… वो विकास और राष्ट्र निर्माण की दौड़ में बहुत आगे गए। आज आजादी के अमृत काल में भारत यही काम कर रहा है, जी-जान से कर रहा है। देश का हर हिस्सा, दिल्ली से बंगाल तक, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तक, हमारे महान नायक, नेता जी को मना रहा है और उनसे जुड़े इतिहास और विरासत को संजो रहा है।

इन परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखे गए द्वीपों के नाम

अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के सबसे बड़े द्वीप का नामकरण प्रथम परमवीर चक्र विजेता के नाम पर किया गया. इसी प्रकार आकार की दृष्टि से अन्‍य द्वीपों का नामकरण किया गया. आज जिन परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर द्वीपों का नाम रखा है, उनमें कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह, कैप्टन जीएस सलारिया, लेफ्टिनेंट कर्नल धान सिंह थापा, सुबेदार जोगिंदर सिंह, मेजर शैतान सिंह, कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर, लांस नायक अल्बर्ट एक्का, मेजर होशियार सिंह, सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण क्षेत्रपाल, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल सिंह शेखों, मेजर परमेश्वरम, नायब सुबेदार बना सिंह, कैप्टन विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे, सुबेदार मेजर संजय कुमार, सुबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव के नाम शामिल हैं।

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