आरयू वेब टीम। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद जहां अडानी के शेयर करीब 50 प्रतिशत तक टूट चुके हैं, वहीं एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, पीएनबी जैसे सरकारी बैंकों के शेयरों की भी काफी गिरावट देखने को मिली है। जिसे देखते हुए आरबीआइ भी अब हरकत में आ गया है। बैंक रेगुलेटर आरबीआइ ने सभी बैंकों से अडानी मामले में जवाब मांगा है। आरबीआइ ने बैंकों से पूछा है कि उन्होंने अडानी ग्रुप कंपनियों को कितना कर्ज दिया है और उसका स्टेटस क्या है?
ये जानकारी ऐसे समय पर आई है, जब अडानी ग्रुप ने अडानी इंटरप्राइजेज के एफपीओ को कैंसल कर दिया है। अडानी ग्रुप के अध्यक्ष गौतम अडानी ग्रुप ने अडानी एंटरप्राइजेज के 20,000 करोड़ रुपए के एफपीओ वापस लेने के लिए खुद सामने आना पड़ा।
गुरुवार सुबह निवेशकों को संबोधित कर गौतम अडानी ने अपना तर्क देते हुए कहा कि बाजार में उतार-चढ़ाव को देखते हुए बोर्ड ने गहनता से महसूस किया कि एफपीओ के साथ आगे बढ़ना उनके लिए नैतिक रूप से सही नहीं होगा। शेयर बाजार में हलचल और मार्केट में उठापटक को देखते हुए कंपनी का उद्देश्य अपने निवेशकों के हितों की रक्षा करना है, इसलिए हम एफपीओ से प्राप्त रकम को हम वापस करने जा रहे हैं और इससे जुड़े लेन-देन को खत्म कर रहे हैं।
बता दें कि ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की पिछले हफ्ते आई रिपोर्ट के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में अरबों डॉलर की गिरावट आई है। उधर, अडानी समूह की ओर से एफपीओ वापस लेने के फैसले पर कांग्रेस ने कहा है कि अडानी का नैतिक रूप से सही होने की बात करना वैसे ही है जैसे उनके ‘प्रधान मेंटर’ द्वारा विनम्रता, सादगी और विशाल हृदयता के सद्गुणों का उपदेश देना है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि यह ‘एंटायर पॉलिटिकल साइंस’ है।
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दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह पर लगाए गए धोखाधड़ी के आरोपों पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने बजट के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, “हम सरकार में हैं और किसी निजी कंपनी से संबंधित मुद्दों पर प्रतिक्रिया नहीं देते हैं।”