आरयू ब्यूरो, लखनऊ। शूद्रों के सम्मान व रामचरित्रमानस को लेकर छिड़ा विवाद फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा है। आज एक ओर जहां सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्या के समर्थकों ने गोमतीनगर के अंबेडकर पार्क के बाहर उनके समर्थन व रामचरित्रमानस की कुछ लाइनों के विरोध में प्रदर्शन किया। तो दूसरी ओर स्वामी प्रसाद मौर्या ने भी शूद्रों के अपमान किए जाने को लेकर सवाल उठाते हुए संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को याद कर जातीय अपमान वाले मुद्दे को और हवा दी। सपा महासचिव ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने कहा था कि ‘मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ यह मेरे बस में नहीं था, किंतु मैं हिंदू होकर नहीं मरूंगा, ये मेरे बस में है।
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सपा एमएलसी ने शनिवार को ट्विट कर विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि कदम-कदम पर जातीय अपमान की पीड़ा से व्यथित होकर ही डॉ. अंबेडकर ने कहा था कि ‘मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ यह मेरे बस में नहीं था, किंतु मैं हिंदू होकर नहीं मरूंगा, ये मेरे बस में है।’ फलस्वरूप साल 1956 में नागपुर दीक्षा भूमि पर दस लाख लोगों के साथ उन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था।
…शूद्र का अपमान नहीं तो क्या?
स्वामी प्रसाद मौर्या ने आज कुछ घटनाओं पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि तत्कालीन उपप्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम द्वारा उद्घाटित संपूर्णानंद मूर्ति का गंगा जल से धोना, तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के रिक्तोपरांत मुख्यमंत्री आवास को गोमूत्र से धोना व राष्ट्रपति कोविंद को सीकर ब्रह्मामंदिर में प्रवेश न देना शूद्र होने का अपमान नहीं तो क्या है?