आरयू वेब टीम।
गोरक्षा के नाम पर देश भर में लगातार बढ़ती हिंसा पर आज सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया। उच्चतम न्यायलय ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसक घटनाओं पर रोकथाम लगाने इनसे प्रभावी तरीके से निबटने के लिए हर जिले में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त करें।
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प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अमिताव राय और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने राज्यों के मुख्य सचिवों को गोरक्षा के नाम हुई हिंसक घटनाओं की रोकथाम के लिए अब तक की गई कार्रवाई के विवरण और स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही पीठ ने केंद्र से कहा कि वह इस तर्क पर जवाब दाखिल करें कि क्या वह संविधान के अनुच्छेद 256 के अंतर्गत सभी राज्यों को कानून व्यवस्था से संबंधित मुद्दे पर निर्देश जारी कर सकती है।
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सुप्रीम कोर्ट में महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने एक जनहित याचिका दायर की थी, गांधी के अलावा कांग्रेस के नेता तहसीन पूनावाला ने भी इसी मुद्दे पर एक याचिका दायर कर रखी है। इस याचिका में गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा पर अंकुश पाने के उपाय करने का सभी राज्य सरकारों को निर्देश देने सहित कई राहतें प्रदान करने का अनुरोध किया गया था।
तुषार गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयिसंह ने गौ मांस रखने या इसका सेवन करने या इसे ले जाने के नाम पर हिंसक भीड़ द्वारा लोगों को पीट-पीटकर मार डालने की घटनाओं की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया था। कोर्ट ने इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकारों को प्रत्येक राज्यों में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त करेने के निर्देश दिए।
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