आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। अपने सफर के पहले दिन ही रूकने वाली मेट्रो के पहिये आज शाम मवैया से कुछ दूरी पर एकाएक थम गए तो लखनऊ मेट्रो रेल कारपोरेशन(एलएमआरसी) में हड़कंप मच गया। एसी बंद होने के साथ ही दरवाजे लॉक होने के बाद सड़क से काफी ऊंचाई पर मेट्रो में कैद हुए यात्रियों में कुछ देर बाद ही दहशत छा गई। घटना के समय मेट्रो में करीब 12 सौ यात्री मौजूद थे।
तमाम कोशिशों के बाद भी ट्रैक पर करीब घंटे भर खड़ी मेट्रो को शुरू करने के सारे प्रयास इंजीनियरों के फेल हो गए तो दूसरी मेट्रो से टोचिंग कर इसे ले जाया गया। वहीं ट्रेन में मौजूद यात्रियों को मवैया मेट्रो स्टेशन पर उतारा गया। ट्रेन से निकलने के दौरान बच्चों और बुजुर्गों पर दहशत साफ झलक रही थी। लोगों ने मेट्रो से निकलने के बाद ऊपरवाले का शुक्र भी अदा किया।
दो दिन पहले मेट्रो के हवा में लटकने के बाद काफी किरकिरी झेल चुके एलएमआरसी ने इस बार घटना को छिपाने का हर संभंव प्रयास किया। यहां तक की पत्रकार और फोटोग्राफरों तक की इंट्री भी रोक दी गई। वहीं एलएमआरसी के अधिकारी जवाब देने से भागते रहे। मीडिया से ही बात करने के लिए नियुक्त किए गए पीआरओ अमित श्रीवास्तव के मोबाइल पर दो बार कॉल किया गया, लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं की।
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हालांकि बंद हुई मेट्रो से अनचाही यादें लेकर ऊतरे यात्रियों ने एलएमआरसी को कोसने के साथ ही अपना अनुभव मीडिया से बयान किया। गोमतीनगर के रहने वाले विजय कुश्वाहा ने बताया कि दो दिन पहले मेट्रो रूकने की जानकारी उन्हें थी उसके बाद वह यह सोचकर मेट्रो में सवार हो गए थे अब सबकुछ ठीक हो गया होगा, लेकिन आज की घटना को देखकर लगा कि एलएमआरसी ने पिछली घटना से कोई सबक नहीं लिया। ट्रेन रूकी तो सबसे ज्यादा महिलाएं और बच्चे डरे हुए थे।
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वहीं चंदरनगर निवासी अजीत सिंह ने कहा कि मेट्रो का उद्धाटन गृहमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने किया था इसकी गरिमा को देखते हुए कम से कम एलएमआरसी को अब तो बिल्कुल भी सचेत हो जाना चाहिए।
बताते चलें कि छह सितंबर से जनता के लिए शुरू की गई मेट्रो पहले दिन ही बंद हो गई थी। यात्रियों के मेट्रो में कैद होने के बाद उन्हें इमरजेंसी गेट से सीढि़यों के जरिए निकाला गया था। जबकि दूसरे दिन यानि कल चारबाग मेट्रो स्टेशन पर एस्केलटर खराब हो गया था।
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