आरयू एक्सक्लूसिव,
लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पुलिस को जनता के प्रति संवेदनशील होने की लाख हिदायतें दे, लेकिन राजधानी में ही फरियादियों के साथ पुलिस दोहरी नीति अपना रही है, तो सूबे के अन्य जिलों का हाल क्या होगा इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। एसएसपी मंजिल सैनी के कार्यालय में जहां फरियादियों से प्रार्थना पत्र लेने के बाद रिसीविंग के तौर पर पीली पर्ची दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर थानेदार अपने कप्तान के विपरीत थाने पहुंचने वाले पीडि़तों के प्रार्थना पत्र पर सिर्फ मोहर लगवाकर उनको चलता करवा रहे है। राजधानी की कमान संभालने के कुछ समय बाद ही एसएसपी ने अपने ऑफिस मे रिसीविंग सिस्टम शुरू करा दिया। करीब चार महीने पहले उन्होंने थाने पर भी पीली पर्ची दिलवाने की बात कही थी, लेकिन आज तक थाने के हालत नहीं बदले है।
तत्कालीन डीआईजी नवनीत सिकेरा ने की थी पहल
वर्ष 2012 में राजधानी के डीआईजी रहे नवनीत सिकेरा ने थानेदारों की मनमानी रोकने के लिए पीली पर्ची की देने की थाने में शुरूआत कराई थी। जिसके बाद पीडि़त को प्रार्थना पत्र देने के बाद अपनी शिकायत के संबंध में हुई कार्रवाई जानना काफी आसान हो गया था। थाने की पुलिस भी रसीद देने के बाद हर एक शिकायत के निपटारें के प्रयास में लगी रहती थी। तत्कालीन डीआईजी के इस कदम की न सिर्फ आला अधिकारियों ने सराहना की थी, बल्कि थानेदारों की मजबूरी बन जाती थी कि वह फरियादियों की हर शिकायत को गंभीरतर से ले।
गुपचुप तरीके से थानेदारों ने बंद कर दिया रिसीविंग देना
काफी समय तक यह व्यवस्था चलने से फरियादियों को राहत मिल गई थी। करीब दो साल पहले मौका देखकर थानेदारों ने पीली पर्ची देना बंद कर मनमानी शुरू कर दी। राजेश पाण्डेय के जाने के बाद चार्ज संभालने राजधानी आई एसएसपी मंजिल सैनी ने अपने कार्यलय में पीली पर्ची देना फिर से शुरू करवाया हैं। लेकिन के हालात अभी भी नहीं सुधरे। जबकि नियम कहता हैं कि पीडि़त कि तहरीर पर मुकदमा न दर्ज करने की स्थिति में पुलिस को रसीद के रूप में पीली पर्ची देना चाहिए।
आप भी जान लीजिए क्या हैं पीली पर्ची
थाने या फिर किसी अन्य पुलिस अधिकारी के पास फरियाद लेकर पहुंचने वाले पीडि़त का प्रार्थना पत्र लेने के बाद पुलिस को रसीद के तौर पर पीली पर्ची देती थी। पर्ची पर पीडि़त की सहायता करने वाले पुलिसकर्मी का नाम, पद, मोबाइल नम्बर व प्रार्थना पत्र रिसीव करने की तारीख लिखी जाती है। इसके अलावा उस पर रसीद संख्या भी अंकित होती है। संख्या मिल जाने के बाद पुलिस उसे गुम नहीं कर पाती थी। उसकी दूसरी कॉपी पुलिस के पास रिकॉर्ड के तौर पर रहती थी।
हाल ही में थाने का चार्ज संभाला है, इस बारे में पता करवाते है।
इंस्पेक्टर गौतमपल्ली, आशुतोष त्रिपाठी
अभी हमारे यहां नहीं कट रही पीली पर्ची।
इंस्पेक्टर हसनगंज, उदयवीर सिंह
पीली पर्ची के आदेश के बारे में जानकारी नहीं है। पता करवाने के बाद पर्ची देना शुरू करवाया जाएगा। इंस्पेक्टर गोमतीनगर, मनोज कुमार मिश्रा
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करने के साथ ही चयानित मामलों में थाने से रिसीविंग दिलवाई जाएगी। प्रवीर कुमार, डीआईजी लखनऊ