आरयू ब्यूरो, लखनऊ/रामपुर। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान को चर्चित हेट स्पीच मामले में कोर्ट ने बरी कर दिया है। निचली अदालत ने आजम को तीन साल कैद की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त हो गई थी। अब एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है। सेशन जज ने आजम को बाइज्जत बरी करने का आधार शिकायतकर्ता सरकारी कर्मचारी के बयान को बनाया है। जिसमें उन्होंने तत्कालीन रामपुर के डीएम आंजनेय सिंह की तरफ से दबाव बनाए जाने की बात कहते हुए गंभीर आरोप लगाया है।
दरअसल हेट स्पीच मामले में केस दर्ज करवाने वाले ने यह कहते हुए अपनी शिकायत वापस ले ली है,”मैंने डीएम आंजनेय सिंह के दबाव में यह शिकायत की थी।” एमपी एमएलए कोर्ट के जज अमित वीर सिंह ने शिकायतकर्ता अनिल कुमार चौहान का बयान दर्ज कर निचली अदालत के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें सपा नेता को तीन साल की सजा सुनाई गई थी।
यह भी पढ़ें- आजम खान को तीन साल की सजा सुनाने वाले जज को मिला प्रमोशन, बने ADJ
अदालत यह भी माना कि आजम खान ने कोई सांप्रदायिक बयान नहीं दिया था और ना ही उनका बयान हिंसा भड़काने वाला था। सपा नेता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाले अनिल कुमार चौहान ने कहा कि उन्होंने डीएम आंजनेय सिंह के दबाव के चलते यह शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद अदालत ने भी यह पाया कि डीएम आंजनेय सिंह और आजम परिवार के बीच रिश्तों में बहुत खटास थी।
यह भी पढ़ें- जिस हेट स्पीच मामले में गई थी आजम खान की विधायकी, उस केस में कोर्ट से हुए बरी
अदालत ने यह भी कहा कि डीएम चाहते तो वो खुद भी शिकायत दर्ज करा सकते थे, लेकिन इसके लिए उन्होंने अनिल चौहान पर दबाव बनाया। इसके अलावा अदालत ने कहा कि आजम खान वो बयान सांप्रदायिक नहीं था और ना ही उनके बयान में हिंसा भड़काने जैसा कुछ था।
यह भी पढ़ें- रामपुर में मतदान के बीच सपा का पुलिस व प्रशासन पर गंभीर आरोप, चुनाव आयोग से की शिकायत
अदालत ने कहा कि IPC की धारा 153-A (दुश्मनी को बढ़ावा देना), 505-1 (सार्वजनिक शरारत) और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125 के तहत आने वाले जुर्म के मूल तत्व शिकायत में कहीं नहीं पाए गए। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसलों का संदर्भ लिया और कहा कि सबूत धारा 65-बी (बयान वाले इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की पहचान करना और इसे पेश करने के तरीके का वर्णन करना) का पालन नहीं किया गया था।