ड्रोन के झुंड अब नष्‍ट करेगा ‘भार्गवास्त्र’, ओडिशा में हुआ सफल परीक्षण

भार्गवास्त्र

आरयू वेब टीम। भारत ने स्वदेशी तकनीक से बना अत्याधुनिक मल्टी काउंटर ड्रोन सिस्टम ‘भार्गवास्त्र’ का सफल परीक्षण किया है। यह सिस्टम ड्रोन के झुंड को एकसाथ नष्ट करने में सक्षम है। ओडिशा के गोपालपुर सीवर्ड फायरिंग रेंज में किए गए इस परीक्षण में ‘भार्गवास्त्र’ ने सभी मानकों पर खरा उतरते हुए भविष्य के खतरों से निपटने की भारतीय क्षमता को मजबूती दी है।

ये परीक्षण ऐसे समय हुआ है जब हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की ओर से ड्रोन और मिसाइलों के जरिए जवाबी हमला किया गया। भारतीय सेना ने बताया था कि पाकिस्तान ने करीब 400 ड्रोन से पश्चिमी सीमा पर हमला किया, जिन्हें भारतीय सुरक्षा बलों ने विफल कर दिया।

ऐसे माहौल में ‘भार्गवास्त्र’ जैसे एंटी-ड्रोन सिस्टम का आगमन देश की सुरक्षा नीति को नई दिशा देने वाला कदम है। गोपालपुर में हुए इस परीक्षण में ‘भार्गवास्त्र’ से कुल चार माइक्रो रॉकेट दागे गए। दो रॉकेटों का परीक्षण अलग-अलग किया गया और दो को एक साथ साल्वो मोड में मात्र दो सेकंड में दागा गया। सभी रॉकेटों ने तय लक्ष्यों को सटीकता से भेदा और बड़े पैमाने पर ड्रोन हमलों को बेअसर करने में सफल रहे। परीक्षण के समय आर्मी एयर डिफेंस के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

ये हैं तकनीकी खूबियां

भारतीय रक्षा कंपनी सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (एसडीएएल) द्वारा विकसित ‘भार्गवास्त्र’ एक हार्ड किल मोड एंटी ड्रोन सिस्टम है। यह खासतौर पर स्वदेशी माइक्रो-मिसाइल तकनीक पर आधारित है। इस सिस्टम की खासियतें निम्नलिखित हैं।

छह किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर ड्रोन डिटेक्ट करने की क्षमता।

2.5 किमी तक के छोटे ड्रोन को भी ट्रैक और नष्ट करने में सक्षम

20 मीटर की घातक त्रिज्या में ड्रोन के झुंड को एक साथ नष्ट करने की ताकत।

बिना निर्देशित माइक्रो रॉकेट का इस्तेमाल, जिससे तीव्र और कुशल प्रतिक्रिया संभव होती है।

समुद्र तल से पांच हजार मीटर की ऊंचाई तक और किसी भी प्रकार के इलाकों में तैनाती योग्य।

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भार्गवास्त्र को भारत की सुरक्षा नीति में एक अहम बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। हाल के दिनों में जिस तरह पाकिस्तान की ओर से ड्रोन हमले बढ़े हैं, उसमें यह एंटी-ड्रोन सिस्टम सुरक्षाबलों के लिए एक मजबूत कवच बनकर सामने आया है। डिफेंस विशेषज्ञों के मुताबिक, “भार्गवास्त्र जैसे स्वदेशी सिस्टम के जरिए भारत न केवल आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर है, बल्कि युद्ध के नए आयामों में तकनीकी बढ़त भी हासिल कर रहा है।” इससे भारतीय सेनाओं को सीमाओं पर ड्रोन से होने वाले खतरे से लड़ने में बड़ी मदद मिलेगी।

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