आरयू ब्यूरो, लखनऊ। पिछले करीब सात सालों से आर्थिक तंगी की मांग झेल रहें शिक्षामित्रों ने आज राजधानी लखनऊ में प्रदर्शन किया। सीटीईटी पास शिक्षामित्रों ने इको गार्डन में धरना देते हुए अपना दर्द बयान किया। शिक्षामित्रों का कहना है कि सालों से महज दस हजार के मानदेय पर नौकरी कर रहे हैं। मजदूरों को भी हमसे ज्यादा वेतन मिलता है। साथ ही कहा कि एनसीटी की गाइडलाइन के तहत सहायक अध्यापक के पद पर तैनाती पाने की योग्यता रखते है। इसके बाद भी सरकार सहायक अध्यापक पद पर परमानेंट तैनाती नहीं दे रही है।
इको गार्डन में धरने की अगुवाई कर रहे प्रदेश अध्यक्ष गुड्डू सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि करीब 25 सालों से हम शिक्षामित्र विभाग के लिए अपनी सेवाएं दे रहे हैं। स्कूलों के विकास में शिक्षकों से कम हम शिक्षामित्रों का योगदान नहीं है। जहां कहीं भी शिक्षक काम करने से मना करते हैं। वहां शिक्षामित्र बखूबी काम करता है। बावजूद इसके आज प्रदेश के 50 हजार से ज्यादा शिक्षक टीईटी और सीटीईटी क्वालीफाई करने के बावजूद सहायक अध्यापक की तैनाती पाने को तरस रहे हैं।
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इतना ही नहीं साल 2017 से प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद हमें उम्मीद थी कि अब हमारी सुनवाई होगी। पर सरकार बने हुए आठ साल हो गए पर अब तक हमें सिर्फ आश्वासन ही मिला। किसी ने हमारी पीड़ा को समझा तक नहीं। कई सालों तक अफसरों ने टाइम पास किया, कोई कार्रवाई नहीं की। बेसिक शिक्षा मंत्री से भी हम मिले पर हमें न्याय नहीं मिला। अब सिर्फ मुख्यमंत्री से ही हमें उम्मीद है।