आरयू वेब टीम।
तीन तलाक को लेकर चल रहे विरोध के बाद आज मोदी सरकार को इस पर बड़ी जीत हासिल हुई है। कई संशोधन प्रस्ताव खारिज करने के बाद लोकसभा में पेश तीन तलाक संबंधी मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया है। दिन भर चली बहस के बीच इस बिल के समर्थन और विरोध करने वाले सदस्यों ने अपने-अपने तर्क रखें।
बिल के खिलाफ सभी संशोधन खारिज हो गए। एआईएमआईएम चीफ व हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा पेश किए गए तीन में से दो संशोधन प्रस्ताव वोटिंग में खारिज हो गए। इसके अलावा बीजू जनता दल के भ्रातृहरि महताब का प्रस्ताव भी वोटिंग में खारिज हो गया।
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इस बिल को सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय और लैंगिक समानता दिलाने वाला ऐतिहासिक कदम करार दिया। वहीं, कांग्रेस ने इसमें खामियां बताते हुए इसका दुरुपयोग होने की आशंका जताई और सवाल किया कि महिलाओं के गुजारे-भत्ते का क्या होगा और महिला आरक्षण विधेयक कब पेश किया जाएगा।
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केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने सदन से कहा कि विधेयक को सियासत की आंखों से नहीं देखा जाए, दलों की दीवारों में नहीं बांधा जाए, मजहब के तराजू पर नहीं तोला जाए और वोट बैंक के खाते से नहीं परखा जाए। मुस्लिम महिलाओं के हित की बात करते हुए उन्होंने सदस्यों से सियासी झगड़े छोड़कर विधेयक को पारित कराने का आग्रह किया। रविशंकर ने दावा किया कि अगर मुस्लिम महिलाओं, बहनों के हित में बिल लाना अपराध है, तो ये अपराध हम दस बार करेंगे।
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मोदी सरकार ने गुरुवार को मुस्लिम समुदाय के बीच तीन तलाक को आपराधिक घोषित करने वाले विधेयक को पेश किया। इस बिल को लेकर विपक्षी दल की कई पार्टियों ने आपत्ति जताई है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वसम्मति से संसद में ट्रिपल तलाक बिल पारित कराने की अपील की थी। इस बिल को ‘द मुस्लिम वुमन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज’ नाम दिया गया है।
तीन तलाक पर बिल पेश करने वाले रविशंकर प्रसाद ने कहा, आज का दिन ऐतिहासिक है। आज हम इतिहास बना रहे हैं। कुछ सदस्यों की आपत्तियों पर मैं ये कहना चाहूंगा कि ये पूरा कानून किसी पूजा, इबादत या महजब का नहीं है। यह कानून नारी की गरिमा का है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘तलाक-ए-बिद्दत’ या तीन तलाक को गैर कानूनी घोषित करने के बाद भी महिलाओं को सड़कों पर फेंक दिया जाता है। ऐसे में सदन को तय करना है कि वह किसका साथ देंगे।
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एआइएमआइएम प्रेसिडेंट असद्दुदीन ओवैसी ने सवाल उठाते हुए कहा, ‘बिल में मूलभूत अधिकारों का हनन है जब पहले से ही घरेलू हिंसा के लिए कानून है तो इस विधेयक की क्या जरूरत है।‘ वहीं बीजद की ओर से भी विधेयक के प्रावधानों को लेकर विरोध जताया गया। वहीं कांग्रेस ने बिल के समर्थन का ऐलान किया। कांग्रेस बिल पर कोई संशोधन नहीं लाएगी। कांग्रेस की ओर से सरकार को सिर्फ सुझाव दिए जाएंगे, और सरकार का इस मुद्दे पर समर्थन किया जाएगा।
जाने बिल के बारे में कुछ खास बातें
बिल को गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अगुआई में एक अंतरमंत्रालयी समूह ने तैयार किया है। इसके तहत किसी भी तरह से दिया गया इन्सटैंट ट्रिपल तलाक (बोलकर या लिखकर या ईमेल, एसएमएस, वॉट्सऐप आदि के जरिए) ‘गैरकानूनी और अमान्य’ होगा और पति को तीन साल तक जेल की सजा हो सकती है। इसके अलावा पति के ऊपर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। लेकिन, कितना जुर्माना हो यह फैसला केस की सुनवाई के दौरान मजिस्ट्रेट की ओर से सुनाया जाएगा।
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गौरतलब है कि इस बिल को एक दिसंबर को राज्यों को विचार के लिए भेजा गया था और उनसे 10 दिसंबर तक जवाब मांगा गया था। हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एईएमपीएलबी) ने रविवार को प्रस्तावित बिल को महिला विरोधी बताते हुए खारिज कर दिया था। साथ ही बोर्ड ने इस मसले पर अपने सुझाव मीडिया के सामने रखे थे।
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