ट्रिपल तलाक पर मोदी सरकार के बिल के खिलाफ है AIMPLB, जानें क्या बताई वजह

तीन तलाक विधेयक का विरोध
तीन तलाक पर एआईएमपीएलबी की राय मीडिया के सामने रखते जफरयाब जिलानी व अन्य।

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। मुस्लिम महिलाओं के हित की बात करते हुए मोदी सरकार की ओर से तीन तलाक पर तैयार किए विधेयक को ऑल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने नामंजूर कर दिया है। आज नदवा कॉलेज में एआईएमपीएलबी के पदाधिकारियों की बैठक में इसको लेकर घंटों चर्चा हुई। जिसके बाद लॉ बोर्ड ने मीडिया के सामने अपना मत साफ करते हुए मोदी सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है।

प्रेस कांफ्रेंस में बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने कहा कि इस बिल में रखे गए प्रावधान अजीबो-गरीब है। यह किसी भी हाल में स्वीकार करने लायक नहीं है। उन्होंने कहा कि शरिया में पहले ही तीन तलाक को अवैध ठहराया गया है।

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वहीं बोर्ड के प्रवक्‍ता मौलाना खलील-उर-रहमान सज्जाद नोमानी ने कहा कि बैठक में केंद्र सरकार के प्रस्तावित विधेयक के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी। बोर्ड का मानना है कि तीन तलाक संबंधी विधेयक का मसौदा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों, शरीयत तथा संविधान के खिलाफ है। इसके अलावा यह मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखलंदाजी की भी कोशिश है। अगर यह विधेयक कानून बन गया, तो इससे महिलाओं को बहुत-सी परेशानियों और उलझनों का सामना करना पड़ेगा.

प्रवक्‍ता ने पत्रकारों से यह भी कहा कि केंद्र का प्रस्तावित विधेयक संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ है। साथ ही यह तीन तलाक के खिलाफ गत 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए फैसले की मंशा के भी खिलाफ है। केंद्र सरकार उससे काफी आगे बढ़ गयी है।

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मौलाना नोमानी ने कहा कि यह बेहद आपत्तिजनक बात है कि केंद्र सरकार ने इस विधेयक का मसौदा तैयार करने से पहले किसी भी मुस्लिम संस्था यानी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, किसी भी मुस्लिम विद्वान या महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाले किसी भी संगठन से कोई राय मशविरा नहीं किया। उन्होंने कहा कि जिस तलाक को उच्चतम न्यायालय ने अवैध बताया था, उसे केंद्र सरकार ने आपराधिक प्रक्रिया में उलझा दिया है। सवाल यह है कि जब तीन तलाक होगा ही नहीं, तो सजा किसे दी जाएगी।

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केंद्र सरकार से गुजारिश करते हुए मौलाना नोमानी बोले कि है कि वह अभी इस विधेयक को संसद में पेश न करे। अगर सरकार को यह बहुत जरूरी लगता है, तो वह उससे पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तथा मुस्लिम महिला संगठनों से बात कर ले। उन्होंने बताया कि बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक बोर्ड की भावनाओं को पहुंचाएंगे और तीन तलाक संबंधी विधेयक को वापस लेने का आग्रह करेंगे।

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तीन तलाक विधेयक का विरोध
बैठक में असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य पदाधिकारी।

उन्‍होंने यह भी कहा कि यह महसूस किया गया है कि तीन तलाक रोकने के नाम पर बने मसौदे में ऐसे प्रावधान रखे गए हैं, जिन्हें देख कर यह साफ लगता है कि सरकार शौहरों (पति) से तलाक के अधिकार को छीनना चाहती है। यह एक बड़ी साजिश है।

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केंद्र सरकार के विधेयक पर बात करते हुए प्रवक्‍ता मीडिया से बोलें कि विधेयक के मसौदे में यह भी कहा गया है कि तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत के अलावा तलाक की अन्य शक्लों पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।

बोर्ड की वरिष्ठ महिला सदस्य अस्मा जहरा ने इस मौके पर कहा कि केंद्र सरकार के प्रस्तावित विधेयक के मसौदे में मुस्लिम महिलाओं के हितों की पूरी तरह अनदेखी की गयी है। उन्होंने कहा कि जैसा कि विधेयक के मसौदे में लिखा है कि तलाक देने वाले शौहर को तीन साल के लिए जेल में डाल दिया जाएगा। ऐसे में सवाल यह है कि जिस महिला को तलाक दिया गया है, उसका गुजारा कैसे होगा और उसके बच्चों की परवरिश कैसे होगी।

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मौलाना राबे हसन नदवी की अध्यक्षता में हुई बैठक में हैदराबाद के सांसद व ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, बोर्ड के महासचिव मौलना सईद मोहद वली रहमानी, सेक्रेटरी मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, बोर्ड के कार्यकारी सदस्य ईदगाह इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली समेत तमाम सदस्‍य व पदाधिकारी भी मौजूद थे।

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