आरयू वेब टीम।
देश के इतिहास में पहली बार उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठ जस्टिस मीडिया के सामने आए। उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है, और यदि संस्था को ठीक नहीं किया गया, तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा।
प्रेसवार्ता में मीडिया से बात करते हुए न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने कहा कि शीर्ष अदालत में प्रशासकीय खामियों के संबंध में अपनी शिकायतों का हल न निकल पाने के कारण हम मीडिया के माध्यम से देश के समक्ष अपनी स्थिति रखने आए। उन्होंने आगे कहा कि हमने यह प्रेस कॉन्फ्रेंस इसलिए की, ताकि हमें कोई यह न कह सके कि हमने आत्मा को बेच दी है।
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मौके पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस जे. चेलमेश्वर के साथ ही जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ मौजूद रहे। जस्टिस कुरियन ने मीडिया से कहा, हम चारों मीडिया का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं। किसी भी देश के कानून के इतिहास में यह बहुत बड़ा दिन, अभूतपूर्व घटना है, क्योंकि हमें यह ब्रीफिंग करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
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जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बहुत कुछ ऐसा हुआ है, जो नहीं होना चाहिए था। हमें लगा, हमारी संस्था और देश के प्रति जवाबदेही है और हमने सीजेआई को सुधारात्मक कदम उठाने के लिए मनाने की कोशिश की, और उन्हें भी पत्र लिखा, लेकिन हमारे प्रयास नाकाम रहे। जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने यह दावा किया कि अगर संस्था को नहीं बचाया गया, तो देश में लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों ने कहा कि सीजेआई को सुधारात्मक कदम उठाने के लिए मनाने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे प्रयास फेल रहा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में प्रशासन सही तरीके से नहीं चल रहा है।
SC के जजों द्वारा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को लिखी गए लेटर कुछ महत्वपूर्ण बिंदु…
चीफ जस्टिस उस परंपरा से बाहर जा रहे हैं, जिसके तहत महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय सामूहिक तौर पर लिए जाते रहे हैं, चीफ जस्टिस केसों के बंटवारे में नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, वे महत्वपूर्ण मामले, जो सुप्रीम कोर्ट की अखंडता को प्रभावित करते हैं, चीफ जस्टिस उन्हें बिना किसी वाजिब कारण के उन बेंचों को सौंप देते हैं, जो चीफ जस्टिस की प्रेफेरेंस की हैं, इससे संस्थान की छवि बिगड़ी है, हम ज़्यादा केसों का हवाला नहीं दे रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट में तय 31 पदों में से फिलहाल 25 जज हैं, यानी जजों के 6 पद खाली हैं, इसके अलावा उतराखंड में राष्ट्रपति शासन वाले फैसले का भी जिक्र करने के साथ ही अन्य कई बिंदू पर शिकायत की गई है।