अफजाल अंसारी ने पूछा अगर बृजेश वाराणसी रह सकते हैं तो मुख्‍तार गाजीपुर में क्‍यों नहीं, गंभीर आरोप भी लगाएं

अफजाल अंसारी
प्रेसवार्ता में अपनी बात रखते अफजाल अंसारी।

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। बीमार पड़ें मुख्‍तार अंसारी को 40 घंटें के अंदर राजधानी के पीजीआई से वापस बांदा जेल भेजे जाने पर आज उनके बड़ें भाई और पूर्व सांसद अफजाल अंसारी ने कई सवाल उठाने के साथ ही गंभीर आरोप भी लगाएं है।

अपने आवास पर आयोजित प्रेसवार्ता में अफजाल अंसारी ने कहा कि वाराणसी के मूल निवासी बृजेश सिंह को जब वाराणसी की न सिर्फ जेल में रखा गया, बल्कि एक ही परिवार के आठ लोगों की हत्‍या करने वाले सिकरारा कांड की दो जनवरी को होने वाली सुनवाई से पहले उन्‍हें जेल प्रशासन और सरकार से जुड़े लोग ट्रॉयल कोर्ट से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित बीएचयू में झूठी बीमारी का हवाला देकर भर्ती करा चुके हैं। दो के बाद पांच और दस जनवरी को भी उसी मामले में डेट थी, लेकिन उन्‍हें पेश नहीं किया जा रहा है।

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तीन हफ्ते से वह अस्‍पताल में हीं हैं, जबकि इसके चलते इतने संगीन मामले में अपने परिवार के आठ लोगों को खो चुके इकलौते गवाह की गवाही भी नहीं हो पा रही है। वहीं गंभीर रूप से बिमार होने के बाद भी मुख्‍तार अंसारी को आनन-फानन में बांदा जैसे जिले की जेल में भेज दिया गया। जहां दोबारा उनके साथ कोई बात हो जाए तो उनका इलाज भी नहीं हो सकता। इसके अलावा न हीं बांदा में उनके खिलाफ कोई मामला चल रहा है। हालांकि जब सरकार ने उन्हें बांदा में रखने निर्णय लिया था तो उसी समय मुख्‍तार ने इसे किसी साजिश वाला फैसला बताया था।

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मुख्‍तार के बड़े भाई ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब वाराणसी के मूल निवासी होने के बाद भी बृजेश सिंह को वहीं की जेल में रखा जा सकता है तो फिर मुख्‍तार अंसारी को मऊ या फिर गाजीपुर की जेल में क्‍यों नहीं। अगर वहां रखने में भी दिक्‍कत है तो लखनऊ या फिर आगरा की सेंट्रल जेल में रखा जाए। इसके साथ ही पूर्व सांसद ने योगी सरकार से मुख्‍तार अंसारी को किसी ऐसे जिले की जेल में रखने की मांग की है जहां उनको जल्‍द से जल्‍द इलाज मिल सके।

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मेरे पास पक्‍का सबूत सरकारी मशीनरी के दबाव में नहीं किया गया मुख्‍तार का ठीक से इलाज

पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में अफजाल अंसारी ने कहा कि उनके पास पक्‍का सबूत है कि किस तरह से सरकारी मशीनरी के दबाव में न सिर्फ मुख्‍तार अंसारी का पीजीआई में ठीक से इलाज नहीं किया गया, बल्कि उन्‍हें आनन-फानन में आगरा भी भेज दिया। हालांकि सबूत पेश करने की बात पर पूर्व सांसद ने कहा कि उसके सामने आते ही तीन चार लोगों की नौकरी खतरें में पड़ जाएगी, इसलिए फिलहाल वह ऐसा नहीं करेंगे। आगे जरूरत पड़ने पर मीडिया के सामने उन सबूतों को जरूर पेश किया जाएगा। साथ ही उन्‍होंने यह भी कहा कि मुख्‍तार को जल्‍द से जल्‍द बांदा भेजने के लिए पुलिस के अधिकारी दो-दो घंटे डॉक्‍टरों के चेंबर में बैठे रहें।

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भाई को देखने तक नहीं दिया गया

अफजाल अंसारी ने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्‍तार के भर्ती होने के बाद उनसे मिलाना तो दूर उन्‍हें देखने तक नहीं दिया गया। पुलिस प्रशासन का रवैय्या काफी अलग था। मुख्‍तार के दो बेटों के अलावा किसी को भी उनके पास टिकने तक नहीं दिया गया। कई विधायक पूर्व मंत्री व पूर्व विधायक समेत मुख्‍तार के समर्थकों को उन्‍हें बिना देखे ही अस्‍पताल से मायूस लौटना पड़ा।

बदलते रहें डॉक्‍टरों के बयान और फिर भेज दिया बांदा

पूर्व सांसद ने कहा कि बांदा के डॉक्‍टरों ने पहले हॉर्ट अटैक बताकर पीजीआई भेज दिया। यहां पहुंचने पर कॉर्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. गोयल ने रिपोर्ट के आधार पर माइनर हॉर्ट अटैक की बात स्‍वीकारी। डॉक्‍टर उसी दिन रात नौ बजे उन्‍हें ऑपरेशन थियेटर ले गए और फिर कहा गया कि नसों में गंभीर ब्‍लाकेज नहीं है। 72 घंटा आर्बजवेशन पर रखा जाएगा। सबकुछ सामान्‍य रहा तो डिस्‍चार्ज कर दिया जाएगा। इसके मात्र दो घंटे बाद ही उन्‍हें सामान्‍य वॉर्ड में न सिर्फ शिफ्ट कर दिया गया बल्कि समय घटाकर 48 घंटा रखने की बात कही। लेकिन एक बार फिर चौंकाने वाला काम करते हुए उन्‍हें करीब 40 घंटे बाद ही 11 जनवरी की दोपहर 12 बजे बिना समुचित इलाज के ही उन्‍हें सड़क मार्ग से बांदा भेज दिया गया।

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मुख्‍यमंत्री कराएं जांच

अफजाल अंसारी ने मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ से यह भी मांग की है कि इस मामले की गंभीरता के साथ जांच कराएं। जिससे कि उनके सरकार की छवि खराब न हो और अपने सरकार में बैठे ऐसे लोगों को भी चिन्हित करें जो मुख्‍तार अंसारी के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। इसके साथ ही यह भी पूरी तरह से साफ हो की मुख्‍तार को हॉर्ट अटैक था या फिर उन्‍हें जहर दिया।

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