आरयू वेब टीम।
केंद्रीय कैबिनेट ने आज 12 वर्ष तक की उम्र के बच्चों-बच्चियों से बलात्कार के मामलों में दोषी को मौत की सजा सुनिश्चित करने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय कैबिनेट ने बलात्कार के मामलों की त्वरित जांच और परीक्षण के लिए उपायों को स्थापित करने का भी फैसला किया है।
पॉक्सो एक्ट में बदलाव हो जाने के बाद 0-12 साल उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार करने वालों को फांसी की सजा दी जाएगी, जबकि कानून में बदलाव करके 16 साल से कम उम्र की किशोरी के साथ बलात्कार के मामले में न्यूनतम सजा 10 साल से बढ़ाकर 20 साल या आजीवन कारावास तक दी जा सकेगी। बैठक में यह निर्णय भी लिया गया है कि बलात्कार मामलों की तेजगति से जांच होने के साथ ही जल्द ट्रायल किया जाएगा।
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इस अध्यादेश में यह व्यवस्था भी की गयी है कि रेप के आरोपियों को अग्रिम जमानत ना मिले। साथ ही त्वरित न्याय के लिए मेडिकल जांच में भी कई बड़े बदलाव का प्रावधान रखा गया है। प्रस्ताव के अनुसार 12 साल तक की बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को भी मौत की सजा सुनाई जा सकती है। इस अध्यादेश को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
पॉक्सो कानून में वर्तमान प्रावधानों के अनुसार इस जघन्य अपराध के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है। न्यूनतम सजा सात साल की जेल है। दिसंबर 2012 के निर्भया मामले के बाद जब कानूनों में संशोधन किये गए, बलात्कार के बाद महिला की मृत्यु हो जाने या उसके मृतप्राय होने के मामले में एक अध्यादेश के माध्यम से मौत की सजा का प्रावधान शामिल किया गया जो बाद में आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम बन गया।
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विधि मंत्रालय के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि इस मुद्दे से निपटने के लिए आज की स्थिति में अध्यादेश सर्वश्रेष्ठ तरीका है। संशोधन विधेयक के लिए मानसून सत्र शुरू होने तक का इंतजार करना पड़ेगा। वहीं उन्नाव और कठुआ की घटनाओं पर अपनी पहली टिप्पणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि किसी अपराधी को छोड़ा नहीं जाएगा और बेटियों को न्याय मिलेगा।
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