आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। कांग्रेस ने शुक्रवार को एक बार फिर राफेल डील को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोलने के साथ ही कई सवाल उठाएं हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा है कि तकनीक सहित 526 करोड़ रुपये प्रति ‘‘राफेल युद्धक विमान’’ को बिना तकनीक के 1670 करोड़ रुपये में खरीद कर मोदी सरकार ने देश की जनता के साथ धोखा किया है।
उन्होंने कहा कि आज देश की जनता अपनी गाढ़ी कमाई का हिसाब पूछ रही है कि प्रति विमान करीब एक हजार करोड़ रुपये आखिर किसने लिया, जबकि विमान बनाने वाली कंपनी ने अपनी सालाना रिपोर्ट में दाम घोषित किये हैं। जब फ्रांस ने ही इसी ‘‘राफेल युद्धक विमान’’ को मिस्र एवं कतर देशों को काफी कम कीमत में बेंचा है और दोनों देशों ने इसकी कीमत भी बता दी है तो फिर भारत ने इतनी अधिक कीमत में विमान क्यों खरीदा और उसकी कीमत मोदी सरकार क्यों नहीं बता रही है।
विशेषताओं का होता है समझौत, कीमत का नहीं
प्रमोद तिवारी ने सवाल उठाते हुए कहा कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का यह कहना कि साल 2008 में हुए समझौते के तहत राफेल युद्धक विमान की कीमत को गोपनीय रखने की शर्त रखी गयी थी, जो झूठी साबित हुई। क्योंकि राफेल युद्धक विमान का जब 2012 में समझौता हुआ था तो 2008 में कौन सा समझौता और किसके लिए हुआ था? उन्होंने कहा कि विमान में तकनीकी खूबियां क्या हैं? उसमें कौन-कौन सी अच्छाईयां और उसकी विशेषताएं क्या हैं? इसका समझौता होता है, विमान की कीमत का नहीं होता है।
क्यों सरकारी कंपनी से छीन कर डील अंबानी को सौंपी
मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए प्रमोद तिवारी ने कहा है कि यूपीए सरकार की डील में 126 राफेल युद्धक विमानों करार हुआ था, जिसके तहत 18 विमान फ्रांस में बनने थे और बाकी विमान भारत में बनने थे, लेकिन मोदी सरकार ने राफेल युद्धक विमान की तकनीक नए समझौते में अनिल अंबानी को विमान बनाने के लिए दे दी, जिन्हें युद्धक विमान तो दूर की बात है सामान्य विमान बनाने का भी अनुभव नहीं है।
प्रमोदी तिवारी ने कहा कि आखिर एक सरकारी कम्पनी से छीनकर अंबानी को इसे सौपने के पीछे क्या ‘‘डील’’ है, और इस डील का आधार क्या है? आज देश के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा है, इस सवाल का जवाब जन-जन को देना मोदी सरकार की संवैधानिक और नैतिक जिम्मेदारी है।
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