आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। लंबे समय बाद शनिवार को लखनऊ लौटी मायावती ने आज अपने नए आवास पर मीडिया से बात की। हाल ही में जेल से छूटने के बाद भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद ऊर्फ रावण के बुआ कहने पर जहां उन्होंने आपत्ति जताते हुए किनारा कर लिया। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों से मेरा कोई रिश्ता नहीं है। ये लोग दलितों के शुभचिंतक नहीं है। दलितों का शुभचिंतक वही है जो बसपा के झंडे तले आकर काम करे।
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इसके अलावा मायावती ने अगामी लोकसभा चुनाव में गठबंधन के बार में बसपा की स्थिति साफ करते हुए शर्त रखी कि बिना सम्मानजक सीटें मिलें वो किसी के साथ भी गठबंधन नहीं करेंगी। ऐसा नहीं हो सका तो बसपा अकेले ही लोकसभा चुनाव में उतरेगी।
वहीं भाजपा सरकारों के खिलाफ भी जमकर हमला बोला। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए ये भी कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की मौत के बाद बीजेपी उसे भी भुनाने की कोशिश कर रही है। जबकि उनके जीते जी भाजपा कभी उनके पदचिन्हों पर नहीं चली। बसपा सुप्रीमो ने इसे भटकाव की राजनीत करार देते हुए कहा कि जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहा है, वैसे-वैसे भाजपा जनता का ध्यान बंटाने के लिए नए-नए तरीके अपना रही है।
भर्ती की जगह महापुरुषों का नाम लेकर युवाओं को बहला रही मोदी सरकार
मायावती ने बसपा को दलितों की सच्ची हितैषी पार्टी बताने के साथ आज भाजपा पर ओबीसी व एससी-एसटी वर्ग से भेदभाव करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि मोदी सरकार खाली पड़े पदों पर भर्तियां नहीं कर रही बस महापुरुषों का नाम लेकर युवाओं को बहलाने का प्रयास कर रही है। इसे लेकर जनता में भाजपा के प्रति भारी नाराजगी है।
उन्होंने कहा कि दो अप्रैल को एससी-एसटी एक्ट को लेकर हुए भारत बंद में प्रदर्शन कर रहे अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के युवाओं को जेल में डाल दिया गया। इससे भाजपा का पिछड़ा व दलित विरोधी चेहरा ही सामने आया है।