आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। अगामी लोकसभा चुनाव के लिए जहां रविवार को मायावती ने सम्मानजनक सीट नहीं मिलने पर गठबंधन नहीं करने की धमकी दी है। वहीं बसपा सुप्रीमो के बयान के बाद यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गठबंधन के लिए पीछे हटने की भी बात स्वीकार की है।
सपा के प्रदेश मुख्यालय पर आज अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं के सामने कहा कि समाजवादियों की लड़ाई भाजपा से ज्यादा बड़ी नहीं दिखाई देने वाले राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) से है। आरएसएस को दुश्मन नंबर वन मानते हुए अखिलेश ने कार्यकर्ताओं को आरएसएस से सावधान रहने की भी नसीहत दी।
यह भी पढ़ें- सबसे बड़ी जातिवादी पार्टी है भाजपा, जाति में निकालती है जाति: अखिलेश
साथ ही कहा कि आरएसएस की विचारधारा से समाजवादी विचारधारा ही लड़ सकती है। संघ पर हमला जारी रखते हुए सपा अध्यक्ष बोले कि जिस आरएसएस ने 70 सालों तक अपने मुख्यालय (नागपुर) पर तिरंगा न फहराया हो उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
मायावती के बयान की ओर इशारा करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि हमारा एजेण्डा देश को बचाना है, उसके लिए हम गठबंधन करेंगे। फिर चाहे हमें दो कदम पीछे ही क्यों न हटना पड़े। इस संबंध में अखिलेश ने आगे कहा कि इसके लिए कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाते हुए पहल करना चाहिए, क्योंकि वह राष्ट्रीय पार्टी है।
चुनाव बाद तय होगा प्रधानमंत्री
इसके अलावा अखिलेश ने आज ये भी कहा कि गठबंधन में नेता और प्रधानमंत्री उम्मीदवार का नाम मुद्दा नही है, यह चुनाव बाद तय हो जाएगा। वैसे यादव ने कहा कि इस चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों की बड़ी भूमिका होगी।
यूपी में हारी भाजपा तो देश की सत्ता में नहीं आएगी वापस
वहीं भाजपा पर हमला बोलते हुए अखिलेश ने कहा कि जनता में गुस्से के साथ ही भाजपा के प्रति निराशा है, इसलिए हर हालत में भाजपा को हार का सामना करना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश में भाजपा की हार हुई तो यह देश की सत्ता में वापस नहीं आएगी।
… इसलिए बैलेट पेपर से हो चुनाव
इस दौरान सपा अध्यक्ष ने चुनाव को बैलेट पेपर से कराए जाने की मांग करते हुए कहा कि ईवीएम की विश्वसनीयता पर उंगली उठी है, इसलिए चुनाव बैलेट पेपर से कराया जाना चाहिए। इसके अलावा आज अखिलेश ने अपनी सरकार में हुए विकास कार्यों को गिनाते हुए कहा कि लोकसभा के चुनाव में वो भाजपा को पिछले विधानसभा चुनाव की तरह किसान बदहाली, बेरोजगारी, मंहगाई के मुद्दे से जनता का ध्यान नहीं हटाने देंगे।