आरयू वेब टीम।
लंबे समय तक जेल में रखने के बाद भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद ऊर्फ रावण को यूपी में जेल से रिहा कर दिया गया है। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत पिछले साल जून से जेल में बंद रावण को शुक्रवार की भोर में साहरनपुर की जेल से आजाद कर दिया गया है।
वहीं जेल से बाहर आते ही रावण ने भाजपा सरकार के खिलाफ हल्ला बोला है। उन्होंने अपने समर्थकों से भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने की बात कहते हुए खुद को फिर से जेल भेजे जाने की आशंका जतायी है।
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इस दौरान मीडिया से बात करते हुए चंद्रशेखऱ ने कहा कि भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार तानाशाही कर रही है, वो दलित, मुस्लिम, गरीब पिछड़े जिसकों चाहे उठाकर जेल भेज दे रही है। अपनी रिहाई पर बोले कि ‘सरकार डरी हुई थी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट उसे फटकार लगाने वाली थी। यही वजह है कि खुद को बचाने के लिए सरकार ने जल्दी रिहाई का आदेश दिया। मुझे भरोसा है कि वे मेरे खिलाफ दस दिनों के भीतर फिर से कोई आरोप लगाएंगे। मैं अपने लोगों से कहूंगा कि साल 2019 में बीजेपी को उखाड़ फेंकें।’
समर्थको ने बताया बाबा साहब की जीत
रिहाई के समय बड़ी संख्या में उनके समर्थक जेल के बाहर मौजूद रहें। वहीं समर्थकों ने जेल के बाहर नारेबाजी करते हुए कहा कि हमारे समाज के लिए बहुत गर्व की बात है कि आज चंद्रशेखर की रिहाई हो गई है और हम बहुत ही खुशी के साथ कहना चाहते है कि यह संविधान की जीत है, बाबा साहब की जीत है।
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बताते चलें कि रावण पर सहारनपुर में जातीय हिंसा फैलाने के आरोप लगे थे, जिसके बाद चंद्रशेखर पर 12 हजार का इनाम यूपी पुलिस ने घोषित करते हुए उन्हें हिमाचल प्रदेश के डलहौजी से गिरफ्तार कर जेल भेजा था। हालांकि, सजा पूरी होने से दो महीने पहले ही रावण को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर रिहा कर दिया गया। वहीं इस बारे में यूपी पुलिस ने कहा है कि चंद्रशेखर को सिर्फ बदले हालात और उनकी मां के आग्रह की वजह से रिहा किया जा रहा है।
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चुनाव के फायदे नुकसान से जोड़कर देखा जा रहा फैसला
सरकार के इस फैसले को राजनीत से जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि रावण के आजाद होने पर मायावती कुछ कमजोर हो सकती हैं। वहीं चंद्रशेखर के आजाद नहीं होने के चलते उनके समर्थकों में लगातार भाजपा सरकार के खिलाफ गुस्सा उस समय बढ़ता जा रहा था, जब भाजपा की सराकरों के अलावा प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री और बीजेपी के तमाम बड़े से लेकर छोटे नेता खुद को दलित हितैषी बताने में लगे हैं।
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तीन साल पहले गठित की गयी थी भीम आर्मी
पश्चिमी यूपी में पिछड़ी जाति के लोगों में काफी मजबूत स्थिति रखने वाली भीम आर्मी का गठन करीब तीन साल पहले किया गया था। जानकारों के अनुसार भीम आर्मी काफी तेजी से पिछड़ी जातियों से जुड़े युवा और अन्य को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में लगी है। इसका एक अहम माध्यम सोशल मीडिया भी है।