आरयू वेब टीम।
आधार की अनिर्वायता को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना वो फसला सुनाया है, जिसका पूरे देश को लंबे समय से इंतजार था। उच्चतम न्यायालय ने आज कुछ शर्तों के साथ आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता को बरकार रखा है।
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने बैंक खाते और मोबाइल सिम से आधार को जोड़ने की अनिर्वायता समाप्त कर दी है। अब आपकों अपने आधार कार्ड को इनसे जोड़ने की जरूरत नहीं है, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पैन कार्ड से आधार जोड़ने का अनिवार्यता को बरकरार रखा है।
इसके अलावा इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आधार एक्ट की धारा 57 को भी समाप्त कर दिया है। इसके चलते अब प्राइवेट कंपनियां आधार की मांग आपसे नहीं कर सकती हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने फैसले में ये भी कहा कि सीबीएसई, एनईईटी और यूजीसी की किसी परीक्षा के लिए आधार जरूरी नहीं होगा। साथ ही स्कूल एडमिशन में भी ये जरूरी नहीं होगा।
आज इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने सुनवाई की है।
बताते चलें कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 38 दिनों तक चली लंबी सुनवाई के बाद 10 मई को मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के एस पुत्तास्वामी की याचिका सहित कुल 31 याचिकाएं दायर की गयी थीं।
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वहीं केंद्र सरकार ने आधार का हर संभव बचाव किया था कि जिनके पास आधार नहीं है उन्हें किसी भी लाभ से बाहर नहीं रखा जाएगा। आधार सुरक्षा के उल्लंघन के आरोपों पर केंद्र ने कहा था कि डेटा सुरक्षित है और इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता। वहीं केंद्र ने यह भी तर्क दिया कि आधार समाज के कमजोर और हाशिए वाले वर्गों के अधिकारों की रक्षा करता है और उन्हें बिचौलियों के बिना लाभ मिलते हैं और आधार ने सरकार के राजकोष में 55000 करोड़ रुपये बचाए हैं।
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