आरयू वेब टीम।
केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार का सोमवार को बेंगलूरु के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया है। वह पिछले कुछ महीनों से फेफड़े के कैंसर से जूझ रहे थे। शंकरा अस्पताल के निदेशक नागराज ने स्थानीय मीडिया को बताया कि अनंत कुमार (59) अमेरिका और ब्रिटेन में इलाज कराने के बाद हाल में ही बेंगलुरु लौटे थे। जिसके बाद उनका शंकरा अस्पताल में उपचार चल रहा था। उन्होंने देर रात करीब दो बजे अंतिम सांस ली हैं। उस समय उनकी पत्नी तेजस्विनी और दोनों बेटियां भी वहां मौजूद थीं।
केंद्रीय मंत्री के निधन पर राजनीति और अन्य क्षेत्रों के तमाम दिग्गजों ने शोक व्यक्त किया है। गृह मंत्रालय ने दिल्ली में घोषणा की है कि अनंत कुमार के सम्मान में सोमवार को पूरे देश में राष्ट्रध्वज आधा झुका रहेगा। कर्नाटक सरकार ने नेता के सम्मान में 14 नवंबर तक तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया साथ ही राजकीय सम्मान से उनका अंतिम संस्कार करने का निर्देश दिया है।
भाजपा कार्यालय ने एक बयान में बताया कि अनंत कुमार का कैंसर और संक्रमण के बाद पैदा हुई जटिलताओं के कारण निधन हुआ। बयान में बताया गया कि वह पिछले कुछ दिनों से सघन निगरानी कक्ष में कृत्रिम जीवन रक्षक प्रणाली पर थे।
यह भी पढ़ें- मोदी की कैबिनेट में नौ नए चेहरे शामिल, चार का प्रामोशन भी हुआ
बीजेपी की कर्नाटक इकाई ने कहा कि कुमार का पार्थिव शरीर आज दिन भर उनके आवास पर रखा जाएगा और उनका अंतिम संस्कार मंगलवार की दोपहर चमराजपेट शवदाह गृह में किया जाएगा। अंतिम संस्कार से पहले उनके शव को भाजपा के प्रदेश कार्यालय और उनके निर्वाचन क्षेत्र में पड़ने वाले नेशनल कॉलेज ग्राउंड में भी अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।
ऐसा रहा अनंत का सियासी सफर
कुमार अनंत को 1987 में कर्नाटक भाजपा का सचिव बनाया गया। इसके बाद उन्हें 1966 में पार्टी ने टिकट दिया और दक्षिण बेंगलुरू सीट से वो लोकसभा पहुंचे। तब से अब तक अनंत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे लगातार जीत हासिल करते आए हैं। 1998 में अटल सरकार में उन्हें उड्डयन मंत्री बनाया गया। इसके बाद भाजपा ने 2003 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया। लगातार जीत का रिकॉर्ड देखते हुए पीएम मोदी ने उन्हें रसायन और खाद मंत्री बनाया। बाद में जुलाई 2016 में उन्हें संसदीय कार्य मंत्री का भी जिम्मा सौंप दिया गया।