आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। योगी सरकार में भी भ्रष्टाचार के लिए चर्चा में रहने वाले लखनऊ विकास प्रधिकरण (एलडीए) का एक कर्मचारी बुधवार को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है। आज शाम एलडीए के बाहर चाय की एक दुकान पर एंटी करप्शन की टीम ने उसे जाल बिछाकर उस समय धर दबोचा, जब आरोपित बाबू अनिल कपूर एक व्यक्ति से पांच हजार रुपए ले रहा था। टीम ने अनिल कपूर को गाजीपुर कोतवाली में दाखिल किया है, जहां उसके खिलाफ संबंधित धाराओं में देेेर रात मुकदमा दर्ज किया गया।
रिश्वतखोरी के मामले में अनिल कपूर को ट्रैप कर पकड़ने वाले एंटी करप्श्न के इंस्पेक्टर प्रवीण सान्याल ने बताया कि ठाकुरगंज के नैपियर रोड निवासी मनि लाल ऊर्फ मेंदी लाल को एलडीए ने नेहरू इनक्लेव योजना में एक प्लॉट आवंटित किया था। जिसकी रजिस्ट्री एलडीए के संपत्ति विभाग में तैनात प्रवर वर्ग सहायक (बाबू) अनिल कपूर को करवानी थी, लेकिन कई बार मिन्नतों के बावजूद अनिल बिना रिश्वत के रजिस्ट्री करवाने के लिए तैयार नहीं हो रहा था।
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तंग आकर मनि लाल ने इसकी शिकायत एंटी करप्श्न से की थी। मनि लाल की शिकायत पर आज अनिल कपूर को पांच हजार रुपए रिश्वत लेते हुए गोमतीनगर स्थित एलडीए के कार्यालय के बाहर से गिरफ्तार कर गाजीपुर पुलिस के हवाले किया गया है। जहां उसके खिलाफ आज रात मुकदमा पंजीकृत करते हुए गुरुवार को गाजीपुर पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी।
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कार्रवाई से एलडीए में हड़कंप, फंसाए जाने की चर्चा
वहीं अनिल कपूर के पकड़े जाने के बाद एलडीए के कर्मचारियों के अलावा अधिकारियों और इंजीनियरों में भी हड़कंप मच गया है। अधिकतर लोगों का कहना था कि अनिल कपूर की छवि दूसरे बाबूओं व इंजीनियरों से काफी साफ-सुथरी है, उसपर कभी भ्रष्टाचार का कोई गंभीर आरोप भी नहीं लगा है। इन हालात में मात्र पांच हजार रुपए के लिए अनिल द्वारा ऐसी हरकत करने की उम्मीद न के बराबर है। वहीं एलडीए के कई कर्मचारियों का ये भी मानना था कि अनिल कपूर को रंजिशन फंसाया गया है।
अफसरों की लापरवाही से बढ़ रहा एलडीए में भ्रष्टाचार!
बताते चलें कि योगी सरकार आने के बाद भी एलडीए में भ्रष्टाचार की बात सामने आना आम बात है। जनता अदालत व अधिकारियों के सामने आवंटी आए दिन कर्मचारियों व इंजीनियरों पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाते रहते हैं। यहां तक कि करीब तीन महीने पहले भाजपा के दो विधायकों ने भी राज्य सतर्कता आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखकर एलडीए के मानचित्र सेल, नियोजन विभाग और प्रवर्तन विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने की बात कहते हुए जांच की मांग की थी। साथ ही विधायकों ने अधिकारियों की आय से अधिक संपत्ति की भी जांच की मांग उठायी थी, लेकिन सत्ताधारी दल के विधायकों के सवाल उठाने के बाद भी कोई जांच या रिपोर्ट अब तक मीडिया के सामने नहीं आ सकी है।
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इसके अलावा एलडीए के अफसर व इंजीनियरों की मिलीभगत से चारबाग में चल रहे दो अवैध होटलों में आग लगने के चलते मासूम सहित सात लोगों के जिंदा जलकर जान गंवाने या फिर हाल ही में गोमतीनगर के विराम खण्ड में इंजीनियरों द्वारा ध्वस्तीकरण का आदेश दबाए रहने के दौरान एक बिल्डिंग के एकाएक ढहने से पड़ोस के दो मकानों के क्षतिग्रस्त होने का मामला हो, हर बार एलडीए के अधिकारी घटना के बाद जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की बात कहते हैं, लेकिन मामला ठंडा होते ही कार्रवाई तो दूर वो जांच के बारे में भी जवाब देने से भागने लगते हैं।
अब लोग कह रहे कि अफसरों की ढिलाई के चलते ही लगातार एलडीए में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है, जो योगी सरकार की छवि को भी धूमिल कर रहा है। ऐसे में सूबे की राजधानी में ही अपनी साख बचाने के लिए खुद सरकार को ही भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।
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