आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान के दौरान सामने आई ईवीएम की गड़बडी को लेकर एक बार फिर इसको लेकर विवाद गहराता जा रहा है। शुक्रवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने ईवीएम के मुद्दों को तत्काल हल करने के साथ ही दलितों को मतदान से रोके जाने पर चुनाव आयोग से संतोषजनक कार्रवाई की मांग की है। मायावती ने गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि बसपा को वोट देने पर भाजपा को वोट मिल रहें हैं। साथ ही सूबे की पूर्व सीएम ने बसपा समर्थकों को भी खासतौर से सर्तक रहने का निर्देश दिया है।
तो नहीं रह जाएगा लोकसभा चुनाव का कोई मतलब
मायावती ने आज अपने एक बयान में मीडिया से कहा कि ये अति गंभीर मुद्दें हैं, चुनाव आयोग इन अनियमितताओं का पूरी गंभीरता से संज्ञान लेकर इसका जनसंतोष समाधान निकाले, जिससे कि अगले चरणों में लोगों को ऐसी कोई शिकायत नहीं करनी पड़े। इसके बाद भी अगर इलेक्शन कमीशन कोई गंभीर कदम तुरंत नहीं उठाता है तो वर्तमान में चल रहे लोकसभा चुनाव का कोई मतलब नहीं रह जाएगा और न ही लोकतंत्र देश में बचेगा।
बटन हाथी का दबाया जा रहा वोट कमल पर पड़ रहा
सूबे की पूर्व सीएम ने कहा कि कल जब वे दक्षिण भारत के चुनावी दौरे पर थीं, तब उन्हें खबर मिली कि लोकसभा के प्रथम चरण मतदान में यूपी में पुलिस व प्रशासन के अधिकारी अपनी ताकत का दुरूपयोग कर रहें हैं, साथ ही अनेक बूथों में ईवीएम में गड़बड़ी भी की गयी है जिसके चलते बटन तो हाथी का दबाया जा रहा था पर वोट कमल (भाजपा) पर पड़ रहा। बसपा सुप्रीमो ने उदाहरण देकर आगे कहा कि इस तरह की एक घटना मुजफ्फरनगर जिले के बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में स्थित कसौली बूथ नं 16 में भी हुई। इस बूथ पर बीएसपी के पोलिंग ऐजेंट ने वोट हाथी के सामने वाले बटन को दबाकर डाला, लेकिन वोट कमल पर पड़ा, जिसके संबंध में उन्होंने फौरन बूथ अधिकारियों से शिकायत की। उसी समय वहां मौजूद कई अन्य वोटरों ने भी यही शिकायत की। बूथ में मौजूद सरकारी पर्यवेक्षकों से शिकायत करने पर उन्होंने यह माना की मशीन में गड़बड़ी है, लेकिन कोई उचित कार्यवाही नहीं हुई तब बीएसपी के एजेंट ने मीडिया के सामने जाकर ईवीएम में धांधली का खुलासा किया। इस घटना को देश के मीडिया चैनलों ने भी दिखाया है।
दलित समाज के लोगों को पोलिंग बूथ पर पहुंचने से रोका गया
मायावती ने यूपी के पुलिस व प्रशासन पर संगीन आरोप लगाते हुए आगे कहा कि इसी प्रकार मतदान के दौरान अनेक जगहों पर पुलिस बल उपयोग करके खासतौर से दलित समाज के लोगों को पोलिंग बूथ पर पहुंचने से रोका गया। यहां तक कि लाठी-डंडों के साथ-साथ हवाई फायरिंग का भी इस्तेमाल किया गया, इसको भी मीडिया ने दिखाया। इसकी सूचना मिलते ही फिर प्रशासन व पुलिस अधिकारियों को जिला स्तर पर शिकायतें की गयी, परन्तु उसका तत्काल कोई असर नहीं पड़ा और मतदान प्रभावित हुआ।
ईवीएम में धांधली तथा दलितों को रोकना लोकतंत्र की हत्या
बाद में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने उमेश सिन्हा डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर, नई दिल्ली तथा चंद्र भूषण डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर उत्तर प्रदेश से बात करके शिकायत की तथा उन्हें लिखित सूचना भी दी। इसके अलावा सतीश चन्द्र मिश्र ने यूपी के डीजीपी ओपी सिंह से भी बात कर उनसे पुलिस द्वारा जगह-जगह लाठी, डंडों और फायरिंग आदि का इस्तेमाल करके दलित समाज के लोगों को वोट न डालने देने और उनके बीच में जानबूझकर दहशत का माहौल पैदा करने की शिकायत की गई और उन्हे यह भी सूचित किया गया कि इसकी शिकायत इलेक्शन कमीशन को भी की जा रही है तथा उनसे अनुरोध किया गया कि वो इन घटनाओं का संज्ञान लेते हुये तुरंत कार्रवाई करें, ताकि लोग अपना वोट निर्भय होकर डाल सकें अन्यथा यही समझा जाएगा कि ऐसा शासन व पुलिस द्वारा जानबूझकर किया जा रहा है। मायावती ने कहा कि ईवीएम में धांधली तथा दलितों को पुलिस व प्रशासन के बल पर रोकना बहुत ही गंभीर अपराध व लोकतंत्र की हत्या करने वाला काम भी बताया है।
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योगी सरकार पर भी उठाएं सवाल
इसके अलावा मायावती ने योगी सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा करते हुए कहा कि मतदान से पहले से ही आम चर्चा चल रही थी कि यूपी में पुलिस और जिला प्रशासन को भाजपा सरकार की ओर से कहा गया है कि प्रदेश में जहां अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या ज्यादा हैं, वहां पुलिस बल लगाकर उनको वोट डालने से रोका जाये और इस कार्य को अंजाम देने के लिये डीजीपी कार्यालय को भी सक्रिय किया गया है।
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…जिससे कि सच्चाई सबके सामने आ सके
मायावती ने इन सबके बीच बसपा के सभी कार्यकर्ताओं, ऐजेंटों व समर्थकों से भी यह अपील किया है कि वो लोग निडर होकर अपना वोट डालें। साथ ही वोटिंग के समय पूरी तरह से चौकन्ना रहें और बटन दबाते समय वहां बगल में ही रखे गये वीवीपैट मशीन पर यह जरूर देखें कि आपका वोट जिस चुनाव चिन्ह पर दबाया है उसी की बत्ती जल रही है और उसी निशान की पर्ची कटकर वीवीपैट के डब्बे में गिर रही है या नहीं। अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आप तुरंत शोर मचाकर वहां चुनाव पर्यवेक्षक को बुलायें और उनसे शिकायत करें और अगर शिकायत नहीं सुनी जाती है तो बाहर निकल कर मीडिया को भी बताएं, जिससे कि सच्चाई सबके सामने आ सके।