आरयू ब्यूरो, लखनऊ/रामपुर। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम पुलिस की हिरासत से छूटने के बाद बुधवार की रात समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए हैं। मोमबत्ती लेकर मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी के गेट पर धरना दे रहे अब्दुल्ला आजम ने योगी सरकार पर जमकर हमला बोला है।
अब्दुल्ला ने कहा कि जुल्म और ज्यादती के विरोध की शुरुआत आज हो गई है तो यह सिलसिला भी थम जाएगा। उन्होंने कहा कि रामपुर में पुलिस-प्रशासन भाजपा की एजेंट के तरह काम कर रहा है। अधिकारी भाजपा को लोकसभा का चुनाव तो जीता नहीं पाए, अब विधानसभा के उपचुनाव में उसकी भरपाई करने की कोशिश की जा रही है।
सपा विधायक ने आगे कहा कि अधिकारी लखनऊ में बैठे अपने आकाओं को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर हम रामपुर पब्लिक स्कूल और जौहर यूनिवर्सिटी के लिए धरना दें तो जिले में धारा 144 लागू है। अगर भाजपा वाले धरना दें तो उनको पूरी छूट है। सांसद आजम खान का पुतला फूंका गया उस समय धारा 144 कहां थी। धारा 144 लागू थी तो अधिकारियों ने आलियागंज में आकर धरना देने वालों से ज्ञापन क्यों लिया।
पिता का बस इतना दोष कि उन्होंने बनाया शिक्षा का मंदिर
छह घंटे की पुलिस हिरासत से छूटने के बाद अब्दुल्ला ने मीडिया से बात करते हुए योगी सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि उनके पिता का दोष बस इतना है कि उन्होंने शिक्षा का मंदिर बनाया। उनके मुताबिक ये बात सरकार के मुखिया और प्रशासन की निगाहों में खटक रही है।
निष्पक्ष थे तो मीडिया को क्यों रखा बाहर
वहीं जौहर यूनिवर्सिटी से छापेमारी में चोरी किताबों के मिलने पर अब्दुल्ला ने कहा है कि पुलिस वाले किताबें साथ लेकर आए थे और वही वापस लेकर गए। उन्होंने कहा कि आप सोचिए 1774 की चीज 2016 में एहसास हुआ कि गायब हो गईं? 2019 में याद आई कि किताबें गायब हैं उन्हें ढूंढना है। अगर पुलिस निष्पक्ष थी तो उसने मीडिया को बाहर क्यों रखा।
सरकार व पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल
योगी सरकार व पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि कुल 9335 किताबें चोरी होने की रिपोर्ट है और सिर्फ 2000 किताबें मिलीं? अगर किताबें चोरी हुई थीं तो पूरी मिलतीं। पुलिस वाले बच्चों की किताबें और कुरान शरीफ अपने साथ ले गए। कानून नाम की कोई चीज नहीं हैं, अगर कानून होता तो न यूनिवर्सिटी का गेट खोला जाता, न इमारतों के ताले टूटते।
… हिंदुस्तान को बेचा था अंग्रेजों के हाथों
रामपुर क्लब के शेर की प्रतिमा यूनिवर्सिटी से मिलने पर अब्दुल्ला ने बयान में कहा कि रामपुर क्लब का मलबा तक बिक चुका है। मलबा खरीदने वाले ने खरीद लिया और खरीद के यूनिवर्सिटी को दान दिया है। दरअसल ये शेर थे ही नहीं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि ये उन लोगों की निशानियां थीं, जिन्होंने आजाद हिंदुस्तान को अंग्रेजों के हाथ बेचा था।
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यहां बताते चलें कि अब्दुल्ला आजम को पुलिस की कार्रवाई में बाधा डालने के आरोप में आज दोपहर हिरासत में लिया गया था। मदरसा आलिया से चोरी हुई किताबों के मामले में बुधवार को दूसरे दिन भी पुलिस जौहर यूनिवर्सिटी में छापेमारी कर रही थी। इसी दौरान पुलिस की कार्रवाई में बाधा डालने के आरोप में सीओ सिटी उन्हें अपने साथ ले गए थे और करीब छह घंटे बाद उन्हें छोड़ा।
वहीं अब्दुल्ला आजम के खिलाफ पहले से यूपी पुलिस ने धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया था। पूर्व मंत्री के बेटे की तहरीर पर यह एफआइआर दर्ज की गई थी। तहरीर में अब्दुल्ला आजम का पासपोर्ट जब्त करने की मांग की गई है।