आरयू वेब टीम। नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा से पास हो गया, लेकिन पूर्वोत्तर के राज्यों में इसे लेकर काफी विरोध हो रहा है। पूर्वात्तर छात्र संगठन (एनइएसओ) ने इस विधेयक के खिलाफ शाम चार बजे तक बंद का आह्वान किया है। कई अन्य संगठनों और राजनीतिक दलों ने भी इसे अपना समर्थन दिया है। इस बंद के आह्वान के मद्देनजर असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
वहीं नगालैंड में चल रहे हॉर्नबिल महोत्सव की वजह से राज्य को बंद के दायरे से बाहर रखा गया है। पूर्वोत्तर राज्यों के मूल निवासियों को डर है कि इन लोगों के प्रवेश से उनकी पहचान और आजीविका खतरे में पड़ सकती है। जबकि विरोध के मद्देनजर गुवाहाटी, डिब्रूगढ़ और कॉटन यूनिवर्सिटी की परीक्षा रद्द कर दी गई है। असम में इस विधेयक (सीएबी) के खिलाफ कई तरह से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें नग्न होकर प्रदर्शन करना और तलवार लेकर प्रदर्शन करना भी शामिल है।
यह भी पढ़ें- लोकसभा में पेश हुआ नागरिकता संशोधन बिल, 82 के मुकाबले 293 वोटों से प्रस्ताव स्वीकार
एसएफआइ, डीवाईएफआइ, एआइडीडब्ल्यूए, एसआइएसएफ, आइसा, इप्टा जैसे 16 संगठनों ने संयुक्त बयान में विधेयक को रद्द करने की मांग की और मंगलवार को सुबह पांच बजे से 12 घंटे का असम बंद का आह्वान किया। इस बंद के आह्वान के मद्देनजर असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। गृह मंत्री अमित शाह के मणिपुर को इनर लाइन परमिट (आईएलपी) के दायरे में लाने की बात कहने के बाद राज्य में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे द मणिपुर पीपल अगेंस्ट कैब (मैनपैक) ने सोमवार के अपने बंद को स्थगित करने की घोषणा की।
कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के सलाहकार अखिल गोगोई ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि केएमएसएस और उसके सहयोगी संगठनों ने इन संगठनों और छात्र संगठन द्वारा बुलाए गए बंद को अपना समर्थन जताया है। उन्होंने बताया कि केएमएसएस ने सूटिया, मोरान और कोच-राजबोंग्शी जैसे विभिन्न आदिवासी छात्र निकायों द्वारा सोमवार को आहूत 12 घंटे के असम बंद को भी समर्थन दिया है।
साथ ही मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के चबुआ स्थित निवास और गुवाहाटी में वित्त मंत्री हिमंत बिस्व सरमा के घर के बाहर सीएबी विरोधी पोस्टर चिपकाए गए। वहीं नलबारी नगर में असम गण परिषद के तीन मंत्रियों के खिलाफ विभिन्न स्थानों पर पोस्टर चिपकाए गए। ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) ने अपने मुख्यालय से मशाल जलाकर जुलुस निकाला और गुवाहाटी की सड़कों पर प्रदर्शन किया। आसू के मुख्य सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य ने जुलूस का नेतृत्व करते हुए कहा कि राज्य विधेयक को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करेगा।
वहीं उत्तर पूर्व के मूल निवासियों का कहना है कि बाहर से आकर नागरिकता लेने वाले लोगों से उनकी पहचान और आजीविका को खतरा है। आसू और अन्य संगठन विधेयक के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। आल असम मटक स्टूडेंट यूनियन के कार्यकर्ताओं ने रविवार शाम को शिवसागर की सड़कों पर नग्न होकर प्रदर्शन किया, हालांकि पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे मटक समुदाय के लोगों को हिरासत में ले लिया।