आरयू ब्यूरो, लखनऊ। अगर आप गोमतीनगर विस्तार में लखनऊ विकास प्राधिकरण का फ्लैट खरीदना की सोच रहे हैं तो यह सोच जल्द ही हकीकत में बदल सकती है। एलडीए ने मात्र पांच से दस प्रतिशत तक पैसा जमा कर सालों से लगभग 40 से 90 लाख रुपए तक की कीमत के फ्लैटों को फंसा रखने वाले डिफॉल्टर आवंटियों से पीछा छुड़ाना शुरू कर दिया है।
गोमतीनगर विस्तार के पंचशील, अलकनंदा, सरस्वती, ग्रीनवुड, गंगा, राप्ती, सरयू समेत दर्जनों अपार्टमेंट में फंसें लगभग 80 फ्लैट के ऐसे आवंटियों को एलडीए ने चिन्हित कर लिया है, जिन्होंने फ्लैट की पूरी कीमत का मात्र पांच से दस प्रतिशत तक की धनराशि बतौर रजिस्ट्रेशन के जमाकर फ्लैट कई सालों से फंसा रखा था। यह आवंटी एलडीए के बुलाने पर भी रजिस्ट्री और कब्जे के लिए नहीं आ रहे थे। साथ ही अपार्टमेंट का रख-रखाव करने वाली संस्था आरडब्ल्यूए को भी इन फ्लैट के आवंटियों से कोई शुल्क नहीं मिल रहा था, जिसके चलते वह भी इन फ्लैट के आवंटियों की जांच व आवंटन के निरस्तीकरण की मांग लंबें समय से एलडीए से कर रहे थी।
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एलडीए के अधिकारी के अनुसार गोमतीनगर में होने के चलते इन फ्लैटों की जनता में काफी डिमांड है। डिफॉल्टर आवंटियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने की प्रकिया शुरू की दी गयी है, जिसे जल्द ही पूरा भी कर लिया जाएगा। आवंटन निरस्त करने के साथ ही एलडीए जमा धनराशि में से नियमानुसार 20 प्रतिशत की कटौती कर आवंटियों के बैंक खाते में बाकी पैसा वापस भेज देगा। जिसके बाद इन फ्लैट को एलडीए लॉटरी की प्रकिया के जरिए बेचेगा।
ब्याज की वजह से नहीं आ रहे आवंटी, ब्लैक मनी की भी आशंका
वहीं फ्लैट का रजिस्ट्रेशन कराने के बाद पांच-सात साल बीत जाने के चलते आवंटियों के नहीं आने के पीछे की बड़ी वजहें फ्लैट की कीमतों पर लगने वाला ब्याज माना जा रहा है। जानकारों के अनुसार वर्तमान में ब्याज की रकम जुड़ने की वजहें से आवंटियों को फ्लैट काफी मंहगें पड़ रहें हैं, जबकि मार्केट में उन्हें इससे कम दाम में फ्लैट आसानी से मिल जाएंगे। वहीं लोगों का यह भी मानन है कि कालाधन खपाने के लिए पिछली सरकार में फ्लैटों का रजिस्ट्रेशन कराया गया था, लेकिन बीच में नोटबंदी के चलते वह ऐसा नहीं कर सकें और फ्लैट आज तक पड़े रह गए।
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नौ महीना पहले ही आवंटन होने थे निरस्त, लेकिन…
बताते चलें कि इसी साल मार्च में एलडीए ने एक हजार से ज्यादा फ्लैट के ऐसे आवंटियों को चिन्हित किया था, जिन्होंने फ्लैट आवंटन के बाद 25 प्रतिशत धनराशि भी एलडीए में जमा नहीं की थी। आवंटियों द्वारा फंसाकर रखे गए फ्लैटों की कीमत करीब तीन सौ करोड़ रुपए आंकी गयी थी। एलडीए के आधिकारियों की ओर से कहा गया था कि काफी डिमांड वाले इन फ्लैट का रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने के साथ ही एलडीए इन फ्लैट को लॉटरी के जरिए वर्तमान दर पर बेचेगा। इस दौरान एलडीए ने डिफॉल्टर आवंटियों को नोटिस भी भेजे थे, लेकिन इसके बाद पूरे मामले को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
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माना जा रहा डिप्टी सीएम के लेटर का असर
फ्लैटों के डिफॉल्टर आवंटियों पर इस समय की जा रही कार्रवाई की वजहें के बारे में एलडीए का कोई भी अधिकारी खुलकर बोलने को भले ही नहीं तैयार है, लेकिन कार्रवाई के पीछे की वजहें पिछले महीने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या द्वारा सीएम योगी आदित्यनाथ को लिखे गए पत्र को माना जा रहा है। पत्र में केशव मौर्या ने एलडीए के अधिकारियों पर कई संगीन आरोप लगाने के साथ ही डिफॉल्टर आवंटियों पर कार्रवाई नहीं करने का मुद्दा भी उठाया था। पिछले महीने सीएम को लिखे गए अपने पत्र में जांच व कार्रवाई की मांग करते हुए उन्होंने कहा था कि एलडीए ने ऐसे फ्लैटों की सूची तैयार करवाई जिनमें दस प्रतिशत रकम भी जमा नहीं है। लिस्ट बनाने के बाद रिपोर्ट दबा दी गयी। करीब दो सौ ऐसे फ्लैट चिन्हित हुए हैं, जिनका पंजीकरण होने के बाद कोई शुल्क ही नहीं जमा था, लेकिन जानकारी के बावजूद ऐसे आवंटनों पर कार्रवाई नहीं हो रही।