आरयू ब्यूरो, लखनऊ। आए दिन घोटालों, रिश्वतखोरी व मनमानी को लेकर चर्चा में रहने वाले लखनऊ विकास प्राधिकरण पर इस बार खुद यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने गंभीर सवाल उठाएं हैं। भ्रष्टाचार करने व उसकी कार्रवाई से बचने में माहिर एलडीए के भ्रष्ट अफसर व इंजीनियरों पर शिकंजा कसने के लिए केशव मौर्या ने सीधे सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख मामलों की उच्च स्तरीय जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है।
पत्र में डिप्टी सीएम ने जनप्रतिनिधियों व जनता के बार-बार एलडीए के घोटालों की जांच कराने की मांग का जिक्र करते हुए भ्रष्टाचार व मनमानी के कुल सात बेहद गंभीर बिंदुओं का उल्लेख किया है।
जिसके तहत कॉमर्शियल प्लॉटों को फर्जी कंपनियों को आवंटित करने, नियम विरूद्ध प्लॉटों के समायोजन करने, जरूरी फाइलों के गायब कराने, दागी कंपनी रोहतास के बारे में सबकुछ जानने के बाद भी उसे बचाने, शान-ए-अवध को मनमाने ढ़ग से बेचने, फ्लैट बनाने में धांधली करने वाली कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड करने की जगह उन्हें बचाने व फ्लैट के आवंटन के सालों बाद भी पैसा नहीं जमा करने वाले आवंटियों पर कार्रवाई नहीं करने का एलडीए के अधिकारियों व इंजीनियरों पर आरोप लगाया है।
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शासन व कमिश्नर कार्यालय से होते हुए उप मुख्यमंत्री का ये पत्र बीते आठ नवंबर को एलडीए उपाध्यक्ष को भेजा गया है। हालांकि छह दिनों तक एलडीए के अफसरों ने इसकी भनक मीडिया को भी नहीं लगने दी। वहीं 14 नवंबर को मामला सामने आने के बाद गुरुवार को एलडीए में दिनभर हड़कंप का माहौल रहा। एलडीए उपाध्यक्ष प्रभु एन सिंह समेत अधिकतर अधिकारी इस मामले में बोलने से बचते नजर आएं।
हालांकि कमिश्नर मुकेश मेश्राम ने जरूर मामले को गंभीर मानते हुए बताया कि सरकार की ओर से उनके पास लेटर आया था, जिसके संबंध में उन्होंने एलडीए को पत्र लिखकर जल्द से जल्द जवाब मांगा है। उम्मीद है एलडीए दस दिन में जवाब दे देगा। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि एलडीए में जो सही से काम करेगा उसे सपोर्ट मिलेगा, जबकि गड़बड़ी करने वालों को चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी। भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर बरदाशत नहीं होगा।
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बताते चलें कि ये कोई पहला मामला नहीं जब एलडीए पर सत्ता के ही लोगों ने संगीन आरोप लगाएं हैं। इससे पहले अनगिनत बार जहां जनता ने एलडीए के इंजीनियर, कर्मचारियों व अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाएं हैं। वहीं इस मामले में भाजपा के ही विधायक और सांसद तक एलडीए की कार्य प्रणाली को सवालों के घेरे में खड़ा कर चुके हैं। हालांकि हर बार मामला कार्रवाई तक पहुंचने की जगह रास्तें में ही दम तोड़ देता रहा है।
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वहीं एलडीए के जानकारों की मानें तो ईमानदारी का दम भरने व सोशल मीडिया के जरिए अपने गुडवर्क का ढिंढोरा पीटने वाले एलडीए के आला अधिकारियों की इन्हीं आदतों के चलते एलडीए में भ्रष्टाचार इस स्तर तक पहुंच गया कि अब सूबे के उप मुख्यमंत्री को खुद ही इसके खिलाफ आवाज उठानी पड़ रही है।
नीचें देखें एलडीए के अधिकारी व इंजीनियरों पर किन आधारों पर डिप्टी सीएम ने की जांच व कार्रवाई की मांग-
नियम दरकिनार, नौ दिन पुरानी कंपनी को फायदा पहुंचाया बेशुमार
- पत्र के अनुसार एलडीए में कमर्शियल प्लॉटों की नीलामी में तीन साल पुरानी कंपनी ही हिस्सा ले सकती है, जबकि नौ दिन पहले बनी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए निलामी की शर्तों को दरकिनार कर प्लॉट आवंटित कर दिए गए। इसमें कई कंपनियां ऐसी भी हैं, जो प्लॉटों की निलामी का विज्ञापन होने के बाद बनी और निलामी में शामिल होकर प्लॉट भी ले लिया। यहां बताते चलें कुछ माह पहले मामला सामने आने के बाद तत्कालीन कमिश्नर अनिल कुमार गर्ग ने अपने स्तर से जांच कराई। जांच के बाद कमिश्नर ने लंबें समय से एलडीए में जमे वित्त नियंत्रक राजीव कुमार सिंह व संयुक्त सचिव डीएम कटियार को एलडीए से हटाने के लिए शासन को पत्र लिखा था, हालांकि दोनों अधिकारियों के हटने से पहले ही कमिश्नर का तबादला हो गया, जिसके बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
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कॉमर्शियल प्लॉट की तरह बेंच डाला शान-ए-अवध
- डिप्टी सीएम ने अपने पत्र में लिखा कि शान-ए-अवध को पीपीपी मॉडल पर विकसित करने का फैसला हुआ था, लेकिन इसे कॉमर्शियल प्लॉट की तरह बेच दिया गया। इसके लिए शासन की सहमति तक नहीं ली गयी। ऑडिट ने भी इसमें वित्तीय अनियमितता की रिपोर्ट लगाई है।
जिन कंपनियों की वजहें से परेशान हुई जनता, उन पर भी बरसाई कृपा
- पारिजात, पंचशील, स्मृति, श्रृष्टि, सुलभ और सहज अपार्टमेंट में भारी धांधली की गयी। इसके ठेकेदारों की धांधली साबित होने के बावजूद उन्हें ब्लैक लिस्टिेड करने के बजाए बचा काम दूसरी एजेंसियों से कराया गया। आरोप है कि गड़बड़ी करने वाली एजेंसियों को फायदा पहुंचाने के लिए ये फैसला किया गया। सुलभ और सहज अपार्टमेंट बनाने वाली एजेंसी सिंटेक्स ने तो काम लेने के बाद उसे सबलेट कर दिया इसकी पुष्टि होने के बाद भी कार्रवाई नहीं की गयी।
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आवंटी भटकते रहें, चहेते दलालों को दे दिया नियम विरूद्ध प्लॉट
- पुरानी योजनाओं को 40 वर्ग मीटर के प्लॉटों के एवज में चहेते दलालों को गोमतीनगर विस्तार में 150 वर्ग मीटर के प्लॉट दिए गए। इसके उलट नेहरू इंक्लेव समेत अन्य पुरानी योजनाओं के आवंटी अपनी प्लॉट के लिए भटक रहें हैं।
फाइलें गायब, गड़बड़ी साबित फिर भी ठप कर दी कार्रवाई
- टीपी नगर, गोमतीनर और जानकीपुरम समेत कई योजनाओं में सैकड़ों आवंटियों की फाइल ही एलडीए में नहीं है। डिस्पोजल रजिस्टर में भी उनके आवंटन से जुड़ी कोई जानकारी नहीं है। इसकी जांच करवाई गयी और उसके बाद डिफॉल्टर की पहचान होने के बाद कार्रवाई ठप कर दी गयी। जांच के बाद गड़बड़ी साबित होने के बावजूद कार्रवाई ठप किए जाने पर सवाल उठे।
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फ्लैटों की सूची बनवाई, फिर दबा दिया मामला
- केशव मौर्या ने अपने पत्र में ये भी कहा है कि एलडीए ने ऐसे फ्लैटों की सूची तैयार करवाई जिनकी दस प्रतिशत रकम भी जमा नहीं है। इसकी सूची बनाने के बाद रिपोर्ट दबा दी गयी। करीब दो सौ ऐसे फ्लैट चिन्हित हुए हैं, जिनका पंजीकरण होने के बाद कोई शुल्क ही नहीं जमा था, लेकिन जानकारी के बावजूद ऐसे आवंटनों पर कार्रवाई नहीं हो रही।
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रोहतास पर सौ से ज्यादा मुकदमें, लेकिन बचाने पर अमादा एलडीए
- रोहतास के खिलाफ हजरतगंज समेत राजधानी के कई थानों में सौ से ज्यादा एफआइआर दर्ज है। रायबरेली और सुल्तानपुर रोड पर टाउनशिप के नाम पर पंजीकरण हुआ, लेकिन जिला पंचायत की जमीन पर प्लॉट समायोजित कर दिया। इसकी जानकारी के बावजूद एलडीए रोहतास को बचाने पर अमादा है।