आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) में अधिकारियों की लापरवाही के चलते भ्रष्टाचार और मनमानी के मामले योगी सरकार में भी थमने का नाम नहीं ले रहें हैं। बुधवार की शाम एलडीए के गेट पर एक शिकायतकर्ता से पांच हजार रुपए घूस लेते हुए नियोजन विभाग में तैनात बाबू देशराज को एंटी करप्शन की टीम ने धर दबोचा। कार्रवाई करने वाली टीम ने बाबू को गोमतीनगर कोतवाली के हवाले करने के साथ ही उसके खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। इस मामले में खास बात ये रही कि शिकायतकर्ता ने आज ही बाबू की शिकायत एंटी करप्श्न के एसपी से की थी। जिसके बाद गठित की गयी टीम ने पांच घंटें के अंदर ही उसे रंगें हाथ गिरफ्तार करते हुए सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
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एंटी करप्श्न के एसपी राजीव मल्होत्रा ने बताया कि आज दोपहर करीब साढे़ 12 बजे ठाकुरगंज के निवाजगंज निवासी अंकुर कुमार ने उनसे मिलकर शिकायत की थी कि उन्होंने आरटीआइ एक्ट के तहत शारदानगर रजनीखंड का नक्शा एलडीए से मांगा था। जबकि नक्शा देने के एवज में नियोजन विभाग में तैनात बाबू (सहायक जनसूचना अधिकारी) देशराज पांच हजार रुपए की डिमांड कर रहा है, जबकि वो रिश्वतखोरी के सख्त खिलाफ हैं।
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शिकायत को देखते हुए एंटी करप्श्न के इंस्पेक्टर संजय सिंह के नेतृत्व में एसपी ने एक टीम गठित करने के साथ ही टीम में जिलाधिकारी के यहां से लिए गए दो सरकारी गवाहों को भी शामिल करते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए। पूरी तैयारी करने के बाद शाम करीब पौने पांच बजे अंकुर कुमार ने पांच हजार देने के लिए देशराज को कॉल कर एलडीए के गेट पर बुलाया। जहां देशराज के कैश हाथ में लेते ही पहले से सर्तक एंटी करप्श्न की टीम ने उसे रंगें हाथ पकड़ लिया। आसपास जुटे एलडीए के कर्मचारी व अन्य लोग कुछ समझ पाते इससे पहले ही टीम अपनी गाड़ी में बाबू को बिठाने के बाद तेजी से वहां से निकल गयी।
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टीम ने रिश्वतखोरी से जुड़े साक्ष्य सील करने के साथ ही गोमतीनगर कोतवाली में देशराज को दाखिल कर दिया है। जहां एंटी करप्शन के इंस्पेक्टर की तहरीर पर बाबू के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली गयी है। गुरुवार की सुबह आरोपित बाबू का चालान कर गोमतीनगर पुलिस उसे कोर्ट में पेश करेगी।
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बताते चलें कि कुछ महीना पहले भी एलडीए के एक अन्य बाबू अनिल कपूर को एंटी करप्शन की टीम ने कुछ इसी अंदाज में घूस लेते हुए एलडीए के ही गेट से गिरफ्तार किया था। अनिल कपूर की अभी तक जमानत नहीं हो सकी है।
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मातहतों के भ्रष्टाचार छिपाने के चक्कर में सीएम के विभाग की बदनामी करवा रहें अधिकारी!
बताते चलें कि एलडीए के इंजीनियरों व कर्मचारियों पर आए दिन भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते हैं। आचार संहिता से पहले एलडीए में लगने वाली जनता अदालत में भी भ्रष्टाचार और मनमानी की ढेरों शिकायतें आम जनता द्वारा कि जाती रहीं हैं। शिकायत व बड़ी घटना हो जाने के बाद एलडीए के आलाधिकारी जांच व कार्रवाई के दावें जरूर कर देते हैं, लेकिन समय बीतने के साथ इन मामलों में कार्रवाई तो दूर कभी जांच भी पूरी नहीं हो पाती हैं। जानकार बताते हैं कि अधिकारियों की ऐसी ही कार्यप्रणाली अब सीधे मुख्यमंत्री के विभाग के बदनामी का कारण बनती जा रही हैं।