लिवाना अग्निकांड में शासन से उठा LDA VC की कार्रवाई पर सवाल, अवैध निर्माण के लिए इंजीनियरों के अलावा और कोई दोषी नहीं है क्‍या?, सभी अधिकारी-कर्मियों की स्थिति करें स्‍पष्‍ट

अवैध होटल पर कार्रवाई
आग लगने के बाद होटल से युवती को बाहर निकालते फायर ब्रिगेड के जवान। (फाइल फोटो)

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। चार बेकसूरों की जान लेने वाले लिवाना सूइट्स अग्निकांड में एलडीए वीसी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी की शुरूआती कार्रवाई पर शासन की ओर से ही सवाल खड़े कर दिए गए हैं। शासन के संयुक्‍त सचिव की ओर से आज एलडीए उपाध्‍यक्ष को पत्र लिखते हुए पूछा गया है कि लिवाना होटल के अवैध निर्माण के लिए सिर्फ इंजीनियर ही जिम्‍मेदार हैं क्‍या? शासन की ओर से यह पत्र आज एलडीए पहुंचते ही हड़कंप मच गया। अधिकारी भी इस पर कुछ भी बोलने से बचते रहें। यहां तक अधिकारी मीडियाकर्मियों से मोबाइल फोन पर बात करने से भी परहेज कर रहे थे।

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संयुक्‍त सचिव शासन लाल धीरेंद्र राव की ओर से आज भेजे गए पत्र में वीसी से यह भी कहा गया है कि मामले में दोषी अन्‍य सभी अधिकारी व कर्मचारियों के संबंध में स्थिति स्‍पष्‍ट करने का कष्‍ट करें।

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सोमवार को हुए अग्निकांड के बाद लिवाना होटल के अवैध निर्माण कराने व उसे बचाने के लिए कमेटी से शुरूआती जांच करा एलडीए वीसी ने साल 2017 से अब तक हजरतगंज क्षेत्र में अवैध निर्माण पर लगाम लगाने के लिए एलडीए के प्रवर्तन जोन छह में तैनात रहें 21 छोटे-बड़े इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कल ही शासन को पत्र भेजा था।

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वीसी द्वारा इस अग्निकांड की जांच का दोषी सिर्फ अभियंताओं को मानने पर इंजीनियरों में भी नाराजगी है। अभियंताओं का मानना है कि इस पूरे कांड का ठीकरा सिर्फ उन्‍हीं लोगों पर फोड़ा जा रहा, जबकि कई महीनों से जोनल प्रभारी ओएसडी राजीव कुमार यादव हैं। उनके निर्देश पर ही इंजीनियर, प्रवर्तन में तैनात बाबू, पेशकार व सुपरवाइजरों की टीम काम करती है। अवैध निर्माण पर लगाम में इन सभी की अपनी-अपनी भूमिका है, लेकिन अग्निकांड होने पर बलि का बकरा सिर्फ इंजीनियरों को ही बनाया जा रहा है। इससे पहले भी कई प्रशासनिक अफसर भी जोन छह में विहित प्राधिकारी के तौर पर तैनात रहें, उनके खिलाफ भी कोई कार्रवाई की बात सामने नहीं आ रही।

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एलडीए वीसी की कार्रवाई पर इसलिए भी सवाल उठ रहें हैं कि लगभग लिवाना अग्निकांड की ही तरह चारबाग के दो होटलों में भी आग लगने से सात लोगों की मौत हुई थी। इसकी जांच में इंजीनियरों के अलावा दो प्रशासनिक अफसर व एलडीए के छह कर्मियों को भी दोषी माना गया था, जबकि कल हुई घटना में एलडीए की ओर से सिर्फ 21 इंजीनियरों को ही दोषी माना जा रहा है।

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उल्‍लेखनीय है कि इंद्रमणि त्रिपाठी ने सोमवार को मीडिया को बताया था कि इस मामले में दोषी पाए गए तत्‍कालीन अधिशासी अभियंता अरुण कुमार सिंह, ओपी मिश्रा, अधीक्षण अभियंता जहीरूद्दीन, नगर पालिका सेवा के एसी कमलजीत सिंह, सहायक अभियंता ओपी गुप्ता, राकेश मोहन, राधेश्याम सिंह, विनोद कुमार गुप्ता, अमर कुमार मिश्रा, नागेन्द्र सिंह, इस्माइल खान, अवर अभियंता राजीव कुमार श्रीवास्तव, जेएन दुबे, जीडी सिंह, रवीन्द्र श्रीवास्तव, उदयवीर सिंह, अनिल मिश्रा, पीके गुप्ता, सुशील कुमार वर्मा, अम्बरीश शर्मा व रंगनाथ सिंह के खिलाफ विभागीय कार्यवाही किये जाने की संस्तुति करते हुए शासन को रिपोर्ट भेजी गयी है।

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