एलडीए VC से बोले, “कमिश्‍नर रातों-रात खड़ा नहीं हो जाता निर्माण, अवैध निर्माणकर्ता समेत इंजीनियर व कर्मचारियों पर भी करें कार्रवाई”

एलडीए

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। सरकार व एलडीए की छवि धूमिल करने के साथ ही राजधानी लखनऊ के नियोजित विकास में अड़गा लगाने वाली अवैध निर्माण की समस्‍या से निपटने के लिए अब कमिश्‍नर लखनऊ मुकेश मेश्राम ने एक बड़ी पहल की है। कमिश्‍नर ने अवैध निर्माण के पीछे अवैध निर्माणकर्ता के साथ ही इंजीनियर, अफसर व कर्मचारियों को भी कही न कही दोषी मानते हुए एलडीए वीसी को निर्देश दिया है।

उन्‍होंने एलडीए उपाध्‍यक्ष शिवाकांत द्विवेदी से कहा है कि कोई भी निर्माण एक दिन में या रातों-रात नहीं खड़ा हो जाता है। इस बारे में जरूर ही संबंधित इंजीनियर व सुपरवाइजर को पूरी जानकारी पहले से रही होगी और इसमें उनकी संलिप्‍ता से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार यह भी पूरी संभावना है कि अनुचित प्रयोग के उद्देश्‍य से संबंधित इंजीनियरों द्वारा अवैध निर्माण की ओर से आंख मूंदने व अकर्मण्‍य रहने का कृत्‍य किया जा रहा।

इन तर्कों के साथ ही कमिश्‍नर ने एलडीए वीसी को निर्देश देते हुए कहा कि अवैध निर्माण की शिकायत व सूचना मिलने पर उससे संबंधित भू व भवन स्‍वामियों, अवैध कॉलोनाइजर्स व कथित विकासकर्ताओं के खिलाफ विधिक कार्रवाई करने के साथ ही उस क्षेत्र से संबंधित कर्मचारी व इंजीनियरों के खिलाफ भी अनुशासनात्‍मक कार्रवाई करें।

कोर्ट व विधानमंडल की समितियां भी जतातीं हैं रोष

शनिवार को एलडीए उपाध्‍यक्ष को लिखे पत्र में मुकेश मेश्राम ने एलडीए के सैकड़ों कर्मचारी, इंजीनियर व अधिकारियों से लैस प्रवर्तन दस्‍ते का जिक्र करते हुए कहा कि अवैध निर्माण रोकने के लिए प्रवर्तन संबंधी कामों में सुपरवाइजर, जेई, एई, अधिशासी अभियंता व संयुक्‍त सचिव समेत अनेक अधिकारी है। इसके बाद भी अवैध भवनों व अवैध कॉलोनियों के निर्माण की सूचनाएं व शिकायतें मिल रहीं, जिसपर हाई कोर्ट समेत विभिन्‍न कोर्ट के अलावा विधानमंडल समितियां भी रोष प्रकट करते हुए समय-समय पर कार्रवाई के निर्देश देतीं रहतीं हैं।

पहले भी उठते रहें सवाल सिर्फ अवैध निर्माण करने वाला ही कैसे गुनाहगार

बताते चलें कि सिर्फ अवैध निर्माण करने वाली जनता पर ही एलडीए की गाज गिरने को लेकर सवाल उठते रहें। एलडीए की कार्रवाई की जद में आए लोग जहां समय-समय पर एलडीए इंजीनियरों पर वसूली के बाद अवैध निर्माण कराने का आरोप लगाते रहें हैं। वहीं आम जनता का भी मानना है कि जब हर जोन व क्षेत्र के लिए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से लेकर इंजीनियरों की अच्‍छी खासी टीम तैनात है तो महीनों व सालों चलने वाले अवैध निर्माण पर उनके द्वारा कार्रवाई पहले ही क्‍यों नहीं की गयी, और अगर घरों में शोरूम खुलने व दूसरी अवैध बहुमंजिला इमारत खड़ी होने के बाद जनता पर कार्रवाई करनी भी है तो एलडीए उपाध्‍यक्ष व सचिव को संबंधित इंजीनियर व कर्मचारी पर भी भ्रष्‍टाचार या कम से कम जिम्‍मेदारी के प्रति लापरवाही के आरोप में कार्रवाई करनी चाहिए। जिससे आम जनता न सिर्फ अवैध निर्माण करने से डरे, बल्कि एलडीए की छवि भी उसके मन में सुधरे साथ ही अवैध निर्माण की रोकथाम करने वालों को भी अपनी जिम्‍मेदारी का समय रहते एहसास हो।

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नवागत वीसी ने मानी थी कार्रवाई की बात, शुरूआत भी की

वहीं सालों से इस तरह के कदम उठाए जाने की मांग के संबंध में पिछले महीने ही एलडीए उपाध्‍यक्ष की कुर्सी संभालने वाले शिवाकांत द्विवेदी ने अवैध निर्माणकर्ता के साथ ही इसके लिए दोषी पाए गए अपने मातहतों पर भी कार्रवाई की बात सही मानी थी। जिसका असर छह दिन बाद ही 24 जनवरी को उस समय सामने आया जब जोन दो के कानुपर रोड स्थित दो अवैध पार्किंग पर कार्रवाई करने के बाद उसी दिन एलडीए उपाध्‍यक्ष के निर्देश पर क्षेत्रिय जेई नित्‍यानंद चौबे, भरत पांडेय व नरेश सिंह शाक्‍या को प्रवर्तन से हटाते हुए उद्यान अनुभाग में नियुक्ति दे दी गयी। एलडीए वीसी के इस कदम के बाद ठेका लेकर अवैध निर्माण कराने के लिए एलडीए के चर्चित इंजीनियरों में जहां हड़कंम मच गया था, वहीं जनता ने एलडीए वीसी के फैसले को सराहते हुए न्‍याय संगत बताया था।

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