आरयू ब्यूरो, लखनऊ। अवैध निर्माण को लेकर हमेशा से ही विवादित व जन विरोधी माने जाने वाली अपनी कार्यप्रणाली को एलडीए बदलने जा रहा है। लखनऊ विकास प्राधिकरण अब अवैध निर्माण कराने वाली जनता पर ही शिकंजा नहीं कसेगा, बल्कि अवैध बिल्डिंगों को बढ़ावा देने वाले इंजीनियरों पर भी कार्रवाई करेगा। हाल ही में एलडीए उपाध्यक्ष की कुर्सी संभालने वाले शिवाकांत द्विवेदी ने शनिवार को एक आदेश जारी कर इसकी शुरूआत भी कर दी है।
उपाध्यक्ष ने पूछा, तीन साल में हुए कितने अवैध निर्माण सील
दरअसल में उपाध्यक्ष ने एलडीए के सभी सात जोन के प्रवर्तन प्रभारी अधिशासी अभियंताओं से एक आदेश जारी कर पूछा है कि एक अप्रैल 2017 से 15 जनवरी 2020 तक कुल कितने निर्माण सील किए गए हैं।
प्रारूप के अनुसार बताएं स्थिति व तैनात रहे जेई-एई के नाम
इसके लिए एलडीए वीसी की ओर से एक प्रारूप भी जारी किया गया है। जिसके तहत जोन के प्रवर्तन प्रभारियों को अवैध भवनों का पता, सीलिंग की तारीख, सील होने के समय व वर्तमान में अवैध निर्माण की स्थिति के साथ यह भी बताना है कि सीलिंग की डेट से लेकर 15 जनवरी 2020 तक किन-किन जेई व एई की संबंधित अवैध बिल्डिंग के क्षेत्र में तैनाती रही है।
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अवैध निर्माण की ठेकेदारी करने वाले इंजीनियरों में हड़कंप
वहीं एलडीए उपाध्यक्ष के इस आदेश के बाद अवैध निर्माण पर शिकंजा कसने की जगह उसकी ठेकेदारी को बढ़ावा देने वाले प्रवर्तन के इंजीनियरों में हड़कंप मच गया है। एलडीए के ही एक सीनियर इंजीनियर के अनुसार पिछले तीन सालों में सील हुई बिल्डिंगों में से अधिकतर अब सील ही नहीं रह गयीं हैं। प्रवर्तन के इंजीनियरों की वसूली व लापरवाही के चलते अवैध निर्माण कराने वालों ने नियमों को दरकिनार कर न सिर्फ सील तोड़ दी है, बल्कि कई जगाहों पर व्यावसायिक गतिविधियां भी चल रहीं हैं। ऐसे में वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट देने पर संबंधित इंजीनियर व कर्मचारियों की गर्दन फंसना तय है।
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उठता रहा सवाल, जनता का करोड़ों का नुकसान, लेकिन…
उल्लेखनीय है कि अब तक एलडीए सिर्फ जनता की अवैध बिल्डिंगों पर कार्रवाई करने के लिए जाना जाता रहा है। कई बार अवैध निर्माण सील होने व ध्वस्तीकरण की कार्रवाई किए जाने पर सवाल उठता रहा कि सिर्फ जनता पर ही एलडीए कार्रवाई क्यों करता है, जबकि योगी सरकार की मंशा को किनारे कर बड़ी-बड़ी अवैध बिल्डिंगों का निर्माण कराने वालें इंजीनियरों पर कार्रवाई की सोचता भी नहीं। पिछले दिनों बिना नक्शा पास कराए गोमतीनगर के विक्रांत खंड स्थित एक पांच मंजिला होटल को ढहाए जाने के समय भी यह सवाल उठा था कि एलडीए जनता की करोड़ रुपए की संपत्ति पर तो बुलडोजर चला रहा, लेकिन आवासीय क्षेत्र में अवैध होटल निर्माण के दौरान उसे शह देने वाले संबंधित इंजीनियर व सुपरवाईजरों पर उसके द्वारा कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही।
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तत्कालीन उपाध्यक्ष जयाशंकर दूबे ने की थी पहल
हालांकि ऐसा नहीं है कि हमेशा से ही एलडीए जनविरोधी कार्रवाई के चलते विवादों में रहा हो। करीब दो साल पहले एलडीए में बतौर सचिव के पद पर तैनात रहें जयाशंकर दूबे ने जरूर अवैध बिल्डिंगों के पूरी तैयार होने के बाद कार्रवाई करने वाले कई इंजीनियरों पर शिकंजा कसते हुए उन पर भी कार्रवाई के लिए शासन को लिखा था। जानकारों के अनुसार तत्कालीन सचिव के इस कदम के बाद न सिर्फ शहर में अवैध निर्माणों की संख्या में कमी आयी थी, बल्कि आम जनता ने भी इस कदम को सराहा था, लेकिन उनके जाने व तत्कालीन एलडीए वीसी पीएन सिंह द्वारा अपने करीब तीन साल के कार्यकाल के दौरान अवैध निर्माण कराने में संल्प्ति पाए गए इंजीनियरों को छूट दिए जाने पर शहर की तस्वीर बिगड़ती चली गयी। वहीं नवागत उपाध्यक्ष शिवाकांत द्विवेदी की सख्ती के बाद एक बार फिर एलडीए की छवि सुधरने व लखनऊ की आम जनता को राहत मिलने की उम्मीद जागी है।
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पिछले करीब तीन सालों में अवैध निर्माण पर की गयी कार्रवाई से संबंधित जानकारी मांगी गयी है। साथ ही इस बात की भी जानकारी एलडीए जुटा रहा है कि बिल्डिंगें सील की गयी थी वह सील हैं या नहीं, अगर सील तोड़ीं गयी है तो उनपर आगे क्या कार्रवाई हुई। इसके लिए जो भी इंजीनियर व अन्य जिम्मेदार मिलेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सिर्फ अवैध निर्माण कराने वालों पर ही कार्रवाई करना सही नहीं है। शिवाकांत द्विवेदी ,एलडीए उपाध्यक्ष