हाल-ए-एलडीए: हफ्तेभर में अपने अफसर के कमरे का भी लीकेज नहीं बंद कर पाए इंजीनियर, छत से टपकते पानी के लिए लगानी पड़ी रही डस्‍टबिन

ज्ञानेंद्र कुमार वर्मा का कार्यालय
कमरे के बीच टपकते पानी से बचने के लिए लगी डस्‍टबिन।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण के बनाए सृष्टि, परिजात व पंचशील समेत कई अपार्टमेंट में सीपेज-लिकेज की समस्‍याओं को लेकर आवंटियों का इंजीनियर व अफसरों के सामने चक्‍कर लगाना तो आम बात हो गयी है। अब चिराग तले अंधेरे की कहावत को चरितार्थ करते हुए एलडीए के अभियंता एलडीए मुख्‍यालय स्थित अपने अधिकारी के कमरे का भी सात दिनों से लीकेज नहीं बंद कर पा रहें हैं। ऐसे में परेशान अफसर को छत से टपकते पानी से बचने के लिए डस्‍टबिन का सहारा लेना पड़ रहा है। ये हाल तब है जब एलडीए अपने कार्यालय के अनुरक्षण के नाम पर साल में करीब पांच करोड़ रुपए खर्च करता है।

कुछ ऐसा है मामला-

गोमतीनगर स्थित एलडीए मुख्‍यालय की पुरानी बिल्डिंग के फर्स्‍ट फ्लोर पर एलडीए के वीसी व सचिव के बाद तीसरे सबसे बड़े अधिकारी यानि अपर सचिव ज्ञानेंद्र कुमार वर्मा का कार्यालय है। कमरे के बीचों-बीच छत से करीब सात दिनों से पानी लगातार टपक रहा। लीकेज के चलते कुछ जगह पर फॉल सीलिंग खराब होने के बाद उसे हटा दिया गया है, जबकि पानी गिरने की जगह से आवंटियों के बैठने के लिए लगाई गयी कुर्सियों को भी हटाते हुए फिलहाल डस्‍टबिन रखकर काम चलाया जा रहा है, हालांकि एक से अधिक जगह से लीकेज होने से फर्श पर पानी फैल रहा, जिसकी सफाई और डस्‍टबिन से पानी खाली करने के लिए भी कर्मी लगे हैं।

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अभियंता लापरवाह या नाकाम!

दूसरी ओर बिल्डिंग मेनटेनेंस के इंजीनियरों की लापरवाही कहें या नाकामी की वो सात दिनों से एलडीए की कार्यप्रणाली व उनकी खुद की योग्‍यता पर सवाल उठाने वाले इस लीकेज को बंद नहीं कर पा रहे हैं। इंजीनियरों का कहना है कि कार्यालय के ऊपर वीसी कैंप कार्यालय का वॉश रूम व मसूद हॉल है। ऐसे में पानी वॉश रूम या फिर किसी एसी की पाइप लाइन का हो सकता है। कोशिश की जा रही है जल्‍द ही इसे बंद किया जा सके।

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एलडीए का हाल देख आवंटी भी हैरान!

वहीं अपनी समस्‍याओं के समाधान के लिए अपर सचिव के सामने गुहार लगाने के लिए पहुंचने वाले आवंटी कार्यालय में ही पानी टपकता देख हैरानी से अपना सिर पीट ले रहें। खासकर लीकेज-सीपेज से परेशान फ्लैट के आवंटियों का कहना है कि जब एलडीए के इंजीनियर अपने अधिकारी के कार्यालय को नहीं ठीक कर पा रहें, तो उनके फ्लैट की लिकेज कैसे रोक पाएंगे।

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क्‍या बोले जिम्‍मेदार एक्‍सईएन-

इस बारे में अधिशासी अभियंता अनुरक्षण मनोज सागर का कहना है कि कमरे की छत में अंदर से कही लिकेज है उसे लगातार ढूंढा जा रहा है। आवश्‍यकता पड़ी तो छत को तोड़कर भी देखा जाएगा। ऐसे में अपर सचिव कार्यालय भी कही ओर शिफ्ट करना पड़ेगा।

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