विपक्षी एकता पर प्रधानमंत्री मोदी का तंज, “लेबल कुछ है, माल कुछ, इनकी दुकानों पर भ्रष्टाचार की गारंटी”

'मन की बात'

आरयू वेब टीम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पोर्ट ब्लेयर में वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के नए टर्मिनल का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने कहा कि इससे व्यापार के साथ कनेक्टिविटी में सुधार होगा। साथ ही पीएम मोदी ने बेंगलुरु में हो रही विपक्षी एकता की बैठक पर भी तंज कसा है। उन्होंने कहा कि बेंगलुरु में कट्टर भ्रष्टाचारियों का सम्मेलन हो रहा इनका लेबल कुछ है और माल कुछ है।

इस दौरान पीएम मोदी ने विपक्ष पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आज देश की जनता ने तय कर लिया है कि हमें 2024 में वापस लाना है, इसलिए जो लोग भारत की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार हैं, उन्होंने अपनी दुकानें खोल ली हैं। पीएम ने तंज कसा कि गायित कुछ है, हाल कुछ है, लेबल कुछ है, माल कुछ है। 24 के लिए 26 होने वाले राजनीतिक दलों पर ये बिल्कुल सटीक बैठता है। इनकी दुकानों पर जातिवाद का जहर और जबरदस्त भ्रष्टाचार की गारंटी है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोकतंत्र में यह लोगों का, लोगों द्वारा और लोगों के लिए है, लेकिन वंशवादी राजनीतिक दलों के लिए, यह परिवार का है, परिवार द्वारा और परिवार के लिए है। परिवार पहले, राष्ट्र कुछ भी नहीं। पीएम मोदी ने कहा कि यह उनका आदर्श वाक्य है। नफरत, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण की राजनीति है। उनके लिए केवल उनके परिवार का विकास ही मायने रखता है, देश के गरीबों का नहीं…।

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इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीने कहा कि अभी तक मौजूदा टर्मिनल की क्षमता हर रोज 4,000 पर्यटकों को सेवा देने की थी, नया टर्मिनल बनने के बाद इस हवाईअड्डे की क्षमता रोज करीब-करीब 11,000 पर्यटकों को सेवा देने की हो गई है। हवाईअड्डे पर अब एक साथ दस विमान खड़े हो पाएंगे। यानी यहां के लिए नए विमानों का भी रास्ता खुल गया है।

इतना ही नहीं पोर्ट ब्लेयर में वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की नई एकीकृत टर्मिनल बिल्डिंग से यात्रा में आसानी और व्यापार करने में आसानी के साथ-साथ कनेक्टिविटी भी मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक भारत में विकास का दायरा कुछ दलों की स्वार्थ भरी राजनीति के कारण देश के दूर दराज वाले इलाकों तक पहुंचा ही नहीं। ये दल उन्हीं कामों को प्राथमिकता देते थे जिसमें इनका खुद का भला हो इनके परिवार का भला हो, नतीजा ये हुआ कि जो आदिवासी क्षेत्र और द्वीप हैं वहां की जनता विकास से वंचित रही, विकास के लिए तरसती रही।

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