देखिए LDA की बेलगाम इंजीनियरिंग, जनता के ही पैसों से जनता के लिए बनवा दी हादसों की सड़क, मामला खुला तो फाइल भी गायब

बेलगाम इंजीनियरिंग
गोमतीनगर में हादसों को दावत देते सड़क के बीच लगे खंभे।

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश में सरकार बदली है, एलडीए की कार्यप्रणाली नहीं। ये बात एक बार फिर साबित हो गयी है। ताजा मामला राजधानी लखनऊ की पॉश कॉलोनियों में शुमार गोमतीनगर के विराम खंड से सामने आया है। यहां एलडीए के इंजीनियरों ने मानकों के साथ ही अपने अधिकारियों के निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए करीब एक किलोमीटर लंबी व छह मीटर चौड़ी एक अनोखी सड़क का निर्माण कराया है, जिसके बीचों-बीच बिजली के एक-दो नहीं, बल्कि डेढ़ दर्जन से ज्‍यादा खंभे खड़े है। जनता की लाखों रुपए की गाढ़ी कमाई खर्च कर बनाई गयी ये सड़क खंभों के चलते अब हादसों को दावत दे रही है।

वहीं गड़बड़ी पकड़े जाने के बाद विराम खंड पांच से खरगापुर जाने वाली इस सड़क के निर्माण से जुड़े अधिशासी अभियंता अवधेश तिवारी व सहायक अभियंता दिवाकर त्रिपाठी इसकी फाइल ही नहीं मिलने और शुरूआती प्रॉपोजल बनवाने वाले जेई के कई दिनों से छुट्टी पर होने की बात कह रहे हैं। यहां तक कि इंजीनियर ये भी भूल चुके हैं कि कुछ महीनों पहले बनाई गयी इस सड़क का टेंडर कब हुआ और उसको बनाने में जनता के कितने लाख या फिर करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इन सवालों के जवाब में फिलहाल इंजीनियरों का कहना है कि फाइल मिलने पर ही वो कुछ बता सकते हैं, लेकिन फाइल कहां है, इसका भी कोई ठोस जवाब उनके पास नहीं है।

विरोध के बाद भी बनवाई सड़क, फिर झांकने नहीं गया एलडीए

कॉलोनी वालों का कहना था कि सड़क के बीच खंभें होने के चलते उन लोगों ने खंभों को हटाने के बाद सड़क बनवाने की बात कही थीं, लेकिन एलडीए ने ऐसा नहीं किया। विराम खंड पांच की निवासी व सामाजिक कार्यकता डॉ. नूतन ठाकुर ने बताया कि सड़क निर्माण के समय ही कालो‍नी वालों के विरोध पर कहा गया था कि खंभों को हटाकर किनारे की तरफ शिफ्ट किया जाएगा, लेकिन सड़क बनने के काफी समय बाद भी एलडीए की ओर से ऐसा नहीं किया गया है। जिसके चलते हादसों की आशंका बनी हुई है।

हो चुकी हैं दुर्घटनाएं, जान गयी तो जिम्‍मेदार होगा कौन

स्‍थानीय लोगों ने बताया कि सड़क ज्‍यादा पुरानी नहीं होने के चलते ज्‍यादा लोग इसके बारे में जानते ही नहीं है, यही वजह है कि अभी इसपर ट्रैफिक लोड भी कम है, हालांकि इन सबके बाद भी कई वाहनों के खंभों से टकराने के चलते लोग घायल हो चुके हैं। इस रोड पर लाइट की पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था नहीं होने से रात में दुर्घटनाओं की आशंका भी काफी बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में खंभों की वजह से अगर किसी राहगीर की जान जाती है, तो इसका जिम्‍मेदार कौन होगा।

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नगर निगम के क्षेत्र में घुसकर कराया काम

इस मामले में एक खास बात ये भी सामने आयी है कि एलडीए विराम खंड को काफी पहले ही नगर निगम को हैंडओवर कर चुका है। साथ ही उसके क्षेत्र में कई जगाहों पर सड़कों में गड्ढे हो चुके हैं, ऐसे में नगर निगम के क्षेत्र में दखल देकर इस तरह की सड़क बनाने का औचित्‍य क्‍या था। इसका भी जवाब इंजीनियरों से देते नहीं बन रहा है।

हर हाल में जनता का नुकसान

वहीं एलडीए के ही एक सीनियर इंजीनियर की मानी जाए तो बीच रास्‍ते में ही खंभों के होने के चलते जनहित और मानकों को देखते हुए ऐसी सड़क बिना खंभों को शिफ्ट किए बनवाई ही नहीं जा सकती थीं। सड़क बन जाने के बाद तेज गति से वाहनों के दौड़ने के चलते जहां खंभों की वजह से दुर्घटना में लोगों की जान जाने तक खतरा हमेशा बना रहेगा, वहीं जनता के लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी इस तरह की सड़क से बड़ें या फिर दो कारों व अन्‍य चार पहिया वाहनों के एक साथ नहीं गुजरने से उसके औचित्‍य पर भी सवाल खड़े होते हैं। इसके अलावा सड़क बनने के बाद अब अगर खंभों को निकाल भी लिया जाए तो सड़क के बीच पैचिंग करानी होगी, इससे सड़क की लाइफ भी लगभग आधी हो जाएगी।


मेरी जानकारी में ऐसा मामला अभी तक नहीं आया था। इसके अलावा हमारे पास काम भी काफी ज्‍यादा रहता है। इस सड़क के बारे में संबंधित जोन से पता करने और सड़क देखने के बाद ही कुछ बता पाऊंगा।

इंदू शेखर सिंह, चीफ इंजीनियर, एलडीए
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