आरयू संवाददाता, लखनऊ। कोरोना वायरस के चलते नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी व एनपीआर के खिलाफ लखनऊ के घंटाघर पर प्रदर्शन कर रही महिलाओं को गुरुवार को पुलिस हटाने पहुंची। जहां पुलिस ने प्रदर्शन कर रही महिलाओं को जबरन हटाने की कोशिश की बल प्रयोग करते हुए टेंट को उखाड़ दिया। जिसके बाद प्रदर्शनकारी महिलाएं उग्र हो गईं। इस दौरान पुलिसकर्मियों से कुछ धक्का-मुक्की भी हुई।
इस संबंध में पुलिस का कहना है कि जिला प्रशासन ने आज प्रदर्शनकारी महिलाओं को धरना खत्म करने के लिए समझाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं मानी गई। जिसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए टेंट को उखाड़ दिया है। इस दौरान पुलिसकर्मियों व प्रदर्शनकारियों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। इलाके में माहौल तनावपूर्ण है। जिसके मद्देनजर सुरक्षा बल तैनात है।
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वहीं प्रदर्शनकारी महिलाओं ने पुलिस पर अभद्रता करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि, हम शांतिपूर्वक धरने पर बैठे थे, लेकिन महिला सिपाहियों ने हमारे मंच को उजाड़ दिया। महिलाओं को पीटा गया। जिससे तीन महिलाएं बेहोश हुई हैं। सीएए एक काला कानून है। महिला सुरक्ष की दुहाई देने वाली पुलिस महिला प्रदर्शनकारियों के साथ अन्याय कर रही है। बेहोश हुई महिलाओं को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया है।
वहीं एडीसीपी विकास चंद्र त्रिपाठी का कहना है कि कई लोग अनावश्यक रूप से खड़े थे और बाइक खड़ी कर रखी थी। इसे ही हटवाया गया है। प्रदर्शन कर रही महिलाओं को नहीं हटाया जा रहा है। लाठीचार्ज या पिटाई का आरोप गलत है।