आरयू वेब टीम। कोरोना के तेजी से बढ़ते संक्रमण को देखते हुए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने रविवार को कहा कि राजधानी में कोविड-19 का तीसरे दौर चरम पर है और मामलों की संख्या देखकर लगता है कि यह अब तक का सबसे बुरा चरण है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए बेड की संख्या बढ़ा दी गई है। हालांकि फिलहाल अस्पतालों और बैंक्वेट हॉल को अस्पतालों से जोड़ने की योजना नहीं है।
स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि मामलों में वृद्धि की वजह तेजी से जांच किया जाना और संक्रमितों का पता लगाना है। उन्होंने कहा कि लोगों द्वारा बरती जा रही लापरवाही मामलों में तेज वृद्धि का एक प्रमुख कारण है। साथ ही कहा कि, ‘कुछ लोगों को लगता है कि अगर वे मास्क नहीं पहनेंगे तो भी उन्हें कुछ नहीं होगा। वे गलत सोच रहे हैं, जब तक कोविड-19 रोधी टीका तैयार नहीं हो जाता, तब तक मास्क ही एकमात्र दवा है।’
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वही स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, सरकार ने कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग बढ़ा दी है। संक्रमितों के संपर्क में आए सभी लोगों की कोरोना जांच की जा रही है। साथ ही आरटी-पीसीआर टेस्ट भी अब ज्यादा हो रहे हैं। एंटीजन जांच में निगेटिव आने वाले सभी लोगों के (लक्षण वाले) आरटी-पीसीआर टेस्ट किए जा रहे हैं। अब रोजाना औसतन 15 हजार टेस्ट इस प्रणाली से किए जा रहे हैं। पहले ये संख्या 10 हजार के करीब रहती थी।
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बता दे कि राजधानी में कोरोना के दैनिक मामले रोजाना नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। चार दिन में ही 26 हजार लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। वहीं, संक्रमण दर भी तेजी से बढ़ रही है। 15 दिनों में ही यह छह फीसदी बढ़ गई है। दिल्ली सरकार का कहना है कि व्यापक स्तर पर की जा रही कांटेक्ट ट्रेसिंग और आरटी-पीसीआर जांच बढ़ने से संक्रमण दर में इजाफा हो रहा।
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दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, शुक्रवार को संक्रमण दर 12.19 फीसदी रही, जो 24 अक्तूबर को 6.78 फीसदी थी। 15 दिन पहले तक प्रतिदिन हो रही औसतन 56 हजार जांच में संक्रमण के चार हजार मामले आ रहे थे। अब इतने ही टेस्ट होने पर छह हजार से ज्यादा केस आ रहे हैं। प्रति 100 व्यक्ति में 13 लोग संक्रमित मिल रहे हैं। पहले यह संख्या छह की थी।